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गांव मलाणा के लिए नेपाल मूल के मजदूर लगातार आठ घंटे पैदल चल कर राशन पहुंचा रहे है

                                 पीठ पर बोझा, उबड़ खाबड़ रास्ता, 8 घंटे चल मलाणा पहुंचाया राशन

कुल्लू,ब्यूरो रिपोर्ट 

देश-दुनिया से कटे ऐतिहासिक गांव मलाणा के लिए नेपाल मूल के मजदूर लगातार आठ घंटे पैदल चल कर राशन पहुंचा रहे हैं। मंगलवार को मजदूरों ने 1900 किग्रा राशन मलाणा पहुंचाया। राशन में आटा, चावल, दाल, तेल, टमाटर और लहसुन शामिल है। 

प्रशासन ने मजदूरों की संख्या 32 से बढ़ाकर 60 कर दी है। मलाणा में राशन की कमी न आए, इसके लिए प्रशासन लगातार राशन भेज रहा है।मणिकर्ण से चौहकी तक वाहन से राशन पहुंचाया जा रहा है। चौहकी से मलाणा तक की डगर कठिन है। आठ घंटे के सफर में उबड़ खाबड़ रास्ते और चढ़ाई है। पीठ पर बोझा उठाकर मजदूर उबड़ खाबड़ रास्तों से पार पाते हुए मलाणा पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने राशन पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्टर भी भेजा लेकिन मलाणा में उतर नहीं पाया। इसके बाद मजदूरों से राशन भिजवाया जा रहा है।

मलाणा की करीब 2500 आबादी के लिए राशन की कमी हो गई थी। ऐसे में अब मलाणा को राशन भेजने का पूरा जिम्मा एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला की ओर से किया जा रहा है।मंगलवार को चौहकी से मलाणा के लिए करीब 1,900 किलो ग्राम राशन भेजा गया। तीन दिन में मलाणा को लगभग 5.5 टन राशन पहुंचा दिया है। मलाणा को जोड़ने वाली सड़क के साथ बिजली बहाल करने में महीने लग सकते हैं। एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला ने कहा कि राशन को मलाणा पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। फिर भी नेपाल के मजदूरों की मदद से सात से आठ घंटे के सफर के बाद राशन पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राशन की खरीद से अधिक खर्च किराये पर हो रहा है। कहा कि चौहकी से मलाणा के लिए 30 किलो राशन का किराया 1500 रुपये देना पड़ रहा है।

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