अब स्पीड बढ़ने की होगी जांच, रोमांच भरा होगा सफर
सोलन,ब्यूरो रिपोर्ट
कालका-शिमला विश्व धरोहर रेलवे ट्रैक का सफर कुछ दिनों में और रोमांच भरा हो जाएगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड, आरडीएसओ (अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन) और रेल कोच फैक्ट्री के अधिकारियों ने पैनोरमिक विस्ताडोम कोच के चार ट्रायल पर सफलता हासिल कर ली है।
अब अगले दिनों में ट्रेन की गति को बढ़ाने के लिए ट्रायल शुरू होंगे। उससे पहले रेलवे बोर्ड चार ट्रायल की रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौपेगा। इसके बाद आरडीएसओ की टीम आगामी ट्रायल शुरू करेगी। इसमें 28 किलोमीटर प्रति घंना तक ट्रेन की गति को करने के लिए जांच होगी। अभी तक इस ट्रैक पर ट्रेन की अधिकतम रफ्तार करीब 24 किमी है।स्पीड बढ़ाने के लिए कई स्टेशनों के बीच मोड़ भी दुरुस्त किए जा चुके हैं। अगर इसमें रेलवे बोर्ड सफलता हासिल कर ले तो सवारियां कम समय में कालका से शिमला पहुंच सकेंगी। वहीं, अभी तक किए ट्रायल के माध्यम से आपातकालीन ब्रेक आदि के बारे में जांच की गई।
यह ट्रेन एक सप्ताह के बाद कालका रेलवे स्टेशन पर लौट गई है। गौर रहे कि विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर लोग प्रदेश की हसीन वादियों को ओर करीब से निहार सकें, इसके लिए विस्ताडोम कोच चलाया जा रहा है। अब कोच को और आधुनिक तरीके से डिजाइन किया गया है। इन कोच को ट्रायल के लिए ट्रैक पर भी उतार दिया है। लाल रंग से युक्त पैनोरमिक विस्ताडोम कोट टॉय ट्रेन की खूबसूरती को चार चांद लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इन कोच को पहली बार रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला ने तैयार किया है। खास बात यह है कि देश में ब्रॉडगेज ट्रैक पर चलने वाली बोगियों की तरह नैरोगेज रेल लाइन में पैनोरमिक विस्ताडोम कोच में एयर पावर ब्रेक सिस्टम होगा। रेल लाइन पर दौड़ने वाली बोगियों में एयर पावर की बजाय वैक्यूम ब्रेक इंस्टाल है।पैनोरमिक विस्ताडोम में फायर सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे सुरक्षा को बढ़ाएंगे।
अभी तक विस्ताडोम कोच में सीसीटीवी नहीं लगे हैं। इसी के साथ दरवाजे और बोगी के भीतर एलईडी लगाई गई है। इस माध्यम से यात्री अपनी बुकिंग आदि के बारे में जान सकेंगे। साथ ही छोटी पेंटरी भी कोच में लगाई गई है।पैनोरमिक विस्ताडोम कोच के एसी कोच साउंड प्रूफ हैं। पैनोरमिक विंडो में शीशे बड़े होने के साथ ही छत तक होते हैं, जिससे यात्री बाहर के नजारों का बेहतर तरीके से लुत्फ उठा सकेंगे। इसी के साथ लगेज के लिए भी अलग से जगह ट्रेन में रहेगी। जबकि एक लगेज कोच अलग से भी तैयार किया गया है। सभी बोगियों में एयर स्प्रिंग लगाया गया है।
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