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सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 13 से 17 वर्ष की आयु के दो फीसदी किशोर हो रहे है डिप्रेशन के शिकार

                                          रोजाना दो फीसदी किशोर 8 घंटे चला रहे मोबाइल फोन

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 13 से 17 वर्ष की आयु के दो फीसदी किशोर रोजाना 8 घंटे मोबाइल फोन सहित अन्य डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आठ फीसदी मानसिक तनाव में भी है। बुधवार को राजधानी शिमला में जारी हुए स्कूल आधारित किशोर स्वास्थ्य सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है।

प्रदेश के सभी जिलों के 204 सरकारी स्कूलों में 7,563 विद्यार्थियों पर यह सर्वे हुआ है। 13 से 17 वर्ष की आयु के छह प्रतिशत किशोरों ने 14 वर्ष की आयु में यौन संबंध बनाना स्वीकार किया है। देश में पहली बार किशोर-किशोरियों के साथ स्कूल आधारित समग्र सर्वेक्षण हिमाचल प्रदेश में किया गया है। स्कूल आधारित किशोर स्वास्थ्य सर्वेक्षण का उद्देश्य इस विशेष आयु वर्ग समूह के किशोर-किशोरियों में स्वास्थ्य व्यवहार और सुरक्षा के कारकों को समझते हुए, स्कूल जाने वाले किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए उनके आसपास के माहौल में सुधार की संभावना को पहचानना था। 

यह अध्ययन ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड ने राज्य सरकार के अनुमोदन पर किया। सर्वेक्षण की रिपोर्ट को शिमला में हुए एक कार्यक्रम में स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी, शिक्षा सचिव राकेश कंवर, मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रियंका वर्मा और स्वास्थ्य निदेशक डॉ. गोपाल बेरी ने जारी किया।7,563 प्रतिभागियों में से 50.7 फीसदी लड़के थे। 67.1 फीसदी 13 से 15 वर्ष की आयु के थे और 88.4 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों से थे। सर्वे के अनुसार आधे से अधिक किशोरों ने पिछले सप्ताह में तीन से सात दिनों के बीच जोरदार और हल्की शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने की सूचना दी। चार प्रतिशत से अधिक किशोरों ने सही तरीके से हाथ नहीं धोने की आदतों की सूचना दी। सहशिक्षा संस्थानों में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा नहीं होने की सूचना भी दी। 

किशोरों में मादक द्रव्यों के उपयोग की स्व रिपोर्ट तीन प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक थी। एक चौथाई ने खांसी की दवा का सेवन करने की सूचना दी।यौन संबंध बनाने वाले किशोरों में से आधे से भी कम ने अपने अंतिम यौन संबंध के दौरान सुरक्षा का उपयोग किया था। सभी उत्तरदाताओं ने बताया कि वे मासिक धर्म में स्वच्छता संबंधी प्रथाओं का उपयोग कर रहे थे। 30 प्रतिशत से अधिक किशोरियों ने मासिक धर्म चक्र की समस्याओं का अनुभव करने की बात कही, हालांकि उनमें से आधे से अधिक ने कोई कार्रवाई नहीं की या घरेलू उपचार पर भरोसा किया। इस अवसर पर उपायुक्त किशोर स्वास्थ्य डॉ. जोया अली रिजवी, वैश्विक विशेषज्ञ डॉ. ब्रूस डिक एंव डॉ. देविका मेहरा द्वारा ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित किया गया। अधिशासी निदेशक ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड डॉ. सुनील मेहरा ने कहा कि आज के दौर में हमारे विकसित होते समाज में किशोर-किशोरियां नई और विविध प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।




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