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आखिर क्यों हिमाचल और कश्मीर के सेब पर मंडराया खतरा ?

                                            बागवानों के लिए आयातित और स्टोर का सेब बना चुनौती

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

विदेशों से आयात हो रहा सेब हिमाचल और कश्मीर के सेब के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पहली बार सेब के रनिंग सीजन (चालू सीजन) के दौरान देश के बड़े शहरों में पिछले सीजन का सेब बिक रहा है। चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद सहित अन्य शहरों में ईरान, टर्की, यूएसए और साउथ अफ्रीका का आयातित सेब बड़े पैमाने पर बिक रहा है, जिस कारण ताजा सेब की मांग कम हो गई है। 

विदेशों से अत्यधिक मात्रा में सस्ता सेब आयात होने से हिमाचल और कश्मीर के सीए स्टोर में रखे सेब को सही दाम नहीं मिल पाए, जिसके चलते सीए स्टोर का हिमाचल का करीब 3 लाख और कश्मीर का दो करोड़ बॉक्स से अधिक सेब अभी मार्केट में आना बाकी है।चंडीगढ़ फल मंडी में रेहड़ियों पर साउथ अफ्रीका से आयातित फ्रेश गाला किस्म का सेब 350 रुपये किलो और शिमला और कश्मीर के स्टोर का सेब 200 रुपये किलो बिक रहा है। हिमाचल में सेब सीजन शुरू हो चुका है और टाइडमैन, गाला व स्पर किस्मों का सेब मंडियों में पहुंचना शुरू हो गया है लेकिन बाजारों में आयातित और स्टोर का सेब बिकने से बागवानों को नुकसान का अंदेशा है।

 कश्मीर में अभी सेब सीजन शुरू नहीं हुआ, लेकिन बीते सीजन का स्टोर में रखा सेब बागवानों के लिए चिंता का सबब बन गया है। एप्पल ग्रोवर फेडरेशन शोपियां कश्मीर के सचिव अब्दुल राशिद का कहना है कि विदेशी सेब से बहुत नुकसान हो रहा है। कश्मीर के स्टोर के सेब को अब तक 2200 करोड़ का घाटा हो चुका है।विदेशों से आयात हो रहा सेब हिमाचल और कश्मीर के बागवानों के लिए चुनौती बन गया है। हमें अपने सेब की गुणवत्ता और पैकेजिंग सुधारनी होगी। रनिंग सीजन में स्टोर और आयातित सेब बिक रहा है। विदेशी सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी लागू करने के लिए बागवानों को संगठित होकर लड़ाई लड़नी पड़ेगी।





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