पहले भी ब्रेक फेल होने पर चालक की सूझ-बूझ से टला था हादसा
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
11 साल दस महीने पुरानी निगम की बस शुक्रवार को चार जिंदगियों को चंद पलों में लील गई। दुर्गम क्षेत्र में तंग सड़क, तीखे मोड़ और अधिक दुर्घटना संभावित क्षेत्र से हर रोज गुजरने वाली इस बस को कुछ ही दिन पहले पास किया था। गौर करने वाली बात है कि इस रूट पर पहले भी इस बस की ब्रेक फेल हो चुकी थी, तब चालक की सूझबूझ से हादसा टल गया था, लेकिन इस बार बचाव का मौका नहीं मिला।
अब इन चार मौतों का जिम्मेदार किसे ठहराएं, यह सवाल है। बस हादसे में घायल रोहड़ू अस्पताल में उपचाराधीन नेपाली मूल के हस्त बहादुर ने इन मौतों को बहुत करीब से देखा। उसने बताया, बस में बैठ कर लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने के इंतजार में थे। सुबह छह बजे बस गिल्टाड़ी के लिए रोज की तरह निर्धारित समय में कुडडू से चली।चालक के पीछे वाली सीट पर परिचालक और एक अन्य व्यक्ति बैठा था। एक युवती एक महिला के साथ में सीट पर बैठी थी। दो नेपाली मजदूर भी उसके पीछे की सीटों पर बैठे थे। खाली शांत सड़क पर सब लोग सफर का आनंद ले रहे थे। अभी बस करीब चार किलोमीटर की दूरी पर ही पहुंची थी कि सड़क के तीखे मोड़ पर सामने से एक कार आई।
चालक ने उस कार को पास देने के लिए बस को थोड़ा बाहर से काटा कि चंद सेकंड में हवा में उछलने के बाद धमाके के साथ बस रुकी।कार को पास देते समय बस क्रश बैरियर से टकराई और दो सौ फुट हवा में उछलकर सड़क पर पलट गई। इस दौरान किसी को चीखने-चिल्लाने तक का मौका नहीं मिला। हस्त बहादुर ने कहा कि दुर्घटना स्थल के आसपास कोई बस्ती नहीं है, फिर भी कुछ मिनट में लोग बचाव राहत के लिए मौके पर पहुंचे। बाहर निकले तो देखा बस ऊपर वाली सड़क से नीचे की सड़क पर पहुंच चुकी है। उसके बाद घायलों को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन हादसे में चार लोगों की मौत हो चुकी थी। पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। करीब दो सौ फुट पहाड़ी में उछलने के बाद नीचे की सड़क से टकराने के बाद बस के परखच्चे उड़ गए थे।
करीब डेढ़ साल पहले गिल्टाड़ी से रोहड़ू के लिए चलने वाली इस बस की ब्रेक फेल हो चुकी है। उस समय बस में तीस से अधिक लोग सवार थे। परिवहन निगम की इस बस के तत्कालीन चालक आत्मा राम की सूझबूझ से बस को पहाड़ी से टकराना पड़ा। इस हादसे में किसी को गंभीर चोटें नहीं आईं। इस बार फिर उस स्थान से पांच सौ मीटर पीछे यह हादसा हुआ है। यदि हादसा वापसी में हुआ होता तो कई लोग हादसे का शिकार हो सकते थे। बस कुडडू से चलने के बाद गिल्टाड़ी से कर्मचारियों, छात्रों और लोगों को भरकर सुबह आठ बजे वापस रोहड़ू के लिए चलती है।
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