नहीं बनी सड़क, मरीज को घोड़े पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाया
कुल्लू,ब्यूरो रिपोर्ट
सैंज घाटी के अति दुर्गम गांव मरौड़ तक सड़क सुविधा न होना ग्रामीणों के लिए आफत तक बन गया है। मरीजों को कुर्सी पर उठाकर या घोड़े पर बैठाकर 18 किलोमीटर दूर स्थित निहारनी तक पहुंचाना पड़ता है। वहां से मरीज को अस्पताल तक पहुंचाया जाता है। शुक्रवार को मरौड़ गांव के 70 वर्षीय बुजुर्ग सेसराम को बीमारी की हालत में घोड़े पर बैठाकर उपचार के लिए लाना पड़ा।
निहारनी से मरीज को वाहन की मदद से सैंज ले जाया गया।ग्रामीण प्रकाश चंद, गोपाल, हीराचंद, डोले राम और जीतराम ने कहा कि बुजुर्ग सेसराम काफी दिन से बीमार थे। घोड़े की व्यवस्था न होने के कारण मरीज को निहारनी तक लाना मुश्किल भरा हो गया। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को गांव में देव कारज था। इसके लिए घोड़ों पर सामान लाया गया था। वापसी में मरीज को भी घोड़े पर बैठाकर निहारनी तक लाया गया। कहा कि प्रशासन और सरकार से कई बार सड़क निर्माण की मांग की गई, लेकिन धरातल पर इस दिशा में काम नहीं हो पाया है। उधर, शाक्टी की वार्ड सदस्य निर्मला देवी ने कहा कि ग्रामीणों की सुविधा के लिए दुर्गम गांवों शाक्टी और मरौड़ में स्वास्थ्य उपकेंद्र होना चाहिए।
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