जिले के बागवानों को एक बार फिर मौसम ने चिंता में डाल दिया है
चम्बा,ब्यूरो रिपोर्ट
जिले के बागवानों को एक बार फिर मौसम ने चिंता में डाल दिया है। फूल खिलने के समय तापमान में आ रही गिरावट के कारण लगातार दूसरे साल भी सेब की फसल प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है।जनजातीय क्षेत्र भरमौर के परिक्षेत्र में बीते साल भी सेब बगीचों में पतझड़ ने बागवानों को परेशानी में डाला था। इस कारण सेब को सही दाम न मिलने से बागवानों को नुकसान हुआ।
इस साल भी सीजन को लेकर बागवानों को चिंता है। निचले सेब उत्पादक इलाकों में सेब की सेटिंग हो चुकी है। फसल बेहद कम है। बागवानों का कहना है कि अप्रैल महीने में भी बारिश-बर्फबारी का दौर चल रहा था। तापमान में उतार-चढ़ाव से फसल को नुकसान हो रहा है।बागवानों में नारायण सिंह, संदीप कुमार, विनोद कुमार, खेम राज, प्रदीप सिंह और किशोरी लाल ने कहा कि बीते साल प्राकृतिक आपदा के चलते सेब की फसल को नुकसान हुआ था। सेब की गुणवत्ता खराब होने से बागवानों की लागत भी नहीं निकल पाई थी। भरमौर में बीते साल की तरह इस बार भी सेब की फसल दगा दे गई है। भरमौर के निचले कुछ स्थानों पर फसल कुछ हद तक ठीक है, जबकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब के खाने के लिए भी लाले पड़ने वाले हैं। विभाग यह दावा कर रहा है कि फूल सेटिंग के दौरान मौसम अगर साथ देता तो 15 से 20 मिट्रिक टन सेब की फसल का अनुमान था।
इस बार भी फील्ड से जो आंकड़े जुटाए गए हैं, उसके मुताबिक 5 मिट्रिक टन सेब होने का अनुमान है। खणी, गरीमा सहित कुछ अन्य स्थानों पर सेब की अच्छी फसल होने की आस है। ऊपरी क्षेत्रों मलकौता, वालो, उलांसा, सुप्पा इलाकों में नाममात्र ही सेब दिख रहा है। बीते साल ओलावृष्टि की वजह से फसल बर्बाद हुई थी। साल फूल खिलने के दौरान बार-बार मौसम खराब रहने और तापमान में गिरावट से फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। इस कारण बागवान काफी चिंतित दिख रहे हैं। बागवानों ने कहा कि क्षेत्र में 70 प्रतिशत ग्रामीणों के लिए सेब की फसल ही आय का मुख्य स्रोत है। लगातार दो वर्षो से सेब की फसल में अच्छी पैदावार न होने के कारण किसानों को अच्छे नहीं मिल रहे हैं।उधर, उद्यान विभाग के विषयवस्तु विशेषज्ञ आशीष शर्मा ने बताया कि सेब की फसल का सही आकलन किया जा रहा है। मोटे तौर पर इस साल भी 5 मिट्रिक टन सेब का अनुमान दिख रहा है।
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