डीजल इंजन की मदद से फसलों की सिंचाई करने को मजबूर किसान
ऊना,ब्यूरो रिपोर्ट
जिला में स्वां नदी के आसपास के इलाके ऐसे हैं। यहां आज भी किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए डीजल से संचालित होने वाले ट्यूबल का सहारा लेना पड़ता है। डीजल इंजन पुराने समय में किसानों के लिए एक बड़ा सहारा रहे थे, लेकिन वर्तमान में तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि के कारण आर्थिक बोझ बनते जा रहे हैं।वर्तमान का युग बिजली से संचालित मोटर का है।
जहां बिजली सुविधा वाले इलाकों में किसान मोटरों के सहारे फसलों की सिंचाई कर रहे हैं, तो वहीं स्वां नदी के आसपास के इलाकों में आजतक बिजली की सप्लाई नहीं पहुंची है। हरोली, गगरेट और अंब सहित कई इलाकों में सोमभद्र नदी के आसपास किसान खेती करते हैं। कुछ क्षेत्र में तो बिजली की सुविधा पहुंच चुकी है, लेकिन एक बड़ा क्षेत्र ऐसा भी है। जहां अभी भी विद्युत लाइनें पहुंचना बाकी है।किसान रामदास, किशोरी लाल, हंसराज, विनोद कुमार ने कहा कि सिंचाई सुविधा के लिए अलग से विद्युत लाइन भेजना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे किसानों का काफी आर्थिक बोझ कम होता है। अगर डीजल इंजन की मदद से स्पेशल गर्मी में हर दूसरे दिन सिंचाई करेंगे, तो किसानों के हाथ क्या बचेगा।
उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान सरकारों की ओर से बड़े-बड़े वादे तो किए जाते हैं, लेकिन उनकाे पूरा करने में काफी लंबा समय लगता है और इसका खामियाजा आम जनता को बहुत भुगतान पड़ता है। कृषि विभाग के उपनिदेशक डाॅ. कुलभूषण धीमान ने कहा कि अधिकतर इलाकों में सिंचाई की सुविधा पूरी करने के प्रयास में विभिन्न विभागों का सहयोग लिया जा रहा है, लेकिन अभी भी कई इलाके बिजली सुविधा से वंचित हैं। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि विद्युत विभाग जल्द ऐसे इलाकों में सुविधा देने का काम करेगा।
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