कठिन डगर और बुलंद हौसले से चैहणी दर्रा पहुंचे भेड़पालक
चम्बा,ब्यूरो रिपोर्ट
मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी पड़ने के बाद चौहणी दर्रा को लांघकर चुराह हलके के भेड़पालक जनजातीय क्षेत्र पांगी पहुंचना शुरू हो गए हैं।पहाड़ की सीधी चढ़ाई और ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होकर ये भेड़पालक अपने पशुधन के साथ सफर कर रहे हैं। चैहणी दर्रा का रास्ता बेहद संकरा और कठिन है। हल्की सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है।
मार्ग इतना संकरा है कि छोटी सी गलती के कारण भेड़पालक या पशुधन सैकड़ों मीटर गहरी खाई में समा सकते हैं। चुराह के भेड़पालक चैहणी दर्रा को पार कर पांगी के मिंधल क्षेत्र में पहुंचते हैं। यहां दो माह तक पशुधन के साथ रुकते हैं। इसके बाद सर्दियां शुरू होने पर मैदानी इलाकों का रुख कर लेते हैं।चैहणी दर्रा समुद्रतल से 14,400 फीट की ऊंचाई पर हैं। पांगीवासियों में मंगत राम, हरीश कुमार, नरेंद्र कुमार, सुरेंद्र कुमार, रमेश कुमार और राकेश कुमार ने बताया कि रियासत काल के समय से भेड़पालक पांगी पहुंचने के लिए लोग चैहणी मार्ग का इस्तेमाल करते हैं। बताया कि रियासत काल में चंबा के शासक भी इसी रास्ते से मिंधल गांव पहुंचते थे। वर्तमान में साच पास मार्ग खुलने पर लोग वाहनों के जरिये भी यहां से आवाजाही करते हैं। भेड़पालक आज भी पुराने रूट चैहणी दर्रा से होकर ही आवाजाही करते हैं।
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