जब वन विभाग था तैयार तो जंगलों में आग की घटनाएं क्यों हुईं 250 पार
काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट
गर्मियों के सीजन में जंगलों में आग की घटनाओं को कम करने के वन महकमे के प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। फायर सीजन से पहले वन विभाग के कर्मचारियों ने जंगलों में आग की घटनाओं को कम करने के लिए कंट्रोल बर्निंग और फायर लाइन को दुरुस्त किया था, लेकिन विभाग के प्रयास किसी काम नहीं आए। इस फायर सीजन में वन मंडल धर्मशाला में ही वनों में आग के 250 से अधिक मामले सामने आए चुके हैं, जिससे लाखों की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।वहीं, फायर सीजन में जब जंगलों में आग लगती रही तो वन महकमे के पास आग बुझाने के लिए कोई आधुनिक उपकरण न होने के कारण आग पर काबू पाना काफी मुश्किल रहा।
आधुनिक उपकरण न होने के कारण जंगल जलते रहे, लेकिन कर्मचारी कुछ नहीं कर सकें। विभाग आज भी आग पर काबू पाने के लिए गैंती-बेलचे के सहारे है, जबकि अन्य राज्यों और विदेशों में दहकते जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक अपनाई जा रही है, लेकिन हिमाचल में अभी भी पुरानी तकनीकें अपनाकर आग पर काबू पाने के लिए वन कर्मी जद्दोजहद कर रहे हैं।उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों और विदेशों में हेलिकाप्टर की मदद से पानी की बौछार जंगलों में की जाती है, जिससे आग को फैलने से रोका जा सके, लेकिन पहाड़ी राज्य होने के बाद भी हिमाचल में इस तरह की कोई सुविधा नहीं है। आज भी अगर जंगलों में आग लग जाए तो विभाग के कर्मचारियों को खुद ही आग पर काबू पाने के लिए पसीना बहाना पड़ता है।
करीब तीन माह में ही मंडल धर्मशाला के तहत 250 से अधिक आग की घटनाओं में 80 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। जानकारी के अनुसार 15 अप्रैल से 15 जून तक फायर सीजन रहता है। समय पर सरकार की ओर से विभाग को कंट्रोल बर्निंग के लिए बजट तक नहीं दिया जाता है। 20 लाख रुपये का बजट मांगने पर विभाग को एक से दो लाख रुपये की मिल पाते हैं।वन मंडल धर्मशाला के तहत जंगलों में आग लगने से 250 से अधिक मामले सामने आए हैं। अभी तक करीब 80 लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है। जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए विभाग के कर्मचारियों ने काफी काम किया है। 15 जून को फायर सीजन खत्म हो जाएगा, इससे बार पूरा आकलन किया जाएगा कि कितना नुकसान वन विभाग को हुआ है।
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