30 तक दें धान की पनीरी, जून के पहले हफ्ते मक्की की बिजाई का समय
काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट
प्रदेश में अब आने वाले दिनों में धान और मक्की की खेती बीजने के लिए कृषि विवि पालमपुर ने किसानों को सलाह जारी की है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस समय लंबी और बौनी धान की पनीरी का समय चला हुआ है। किसान 30 मई तक यह पनीरी दे सकते हैं। जबकि बासमती का समय 20 मई से 7 जून तक शुरू होगा। उनका कहना है कि धान की धान की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। जबकि इसके पौध रोपण से चार सप्ताह पहले नर्सरी की बुआई कर देनी चाहिए।
पनीरी देने से पहले बीज को बैविस्टिन 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए।धान की उन्नत किस्मों में आरपी-2421, सुकरा धान-1, एचपीआर-1068, कस्तूरी बासमती, एचपीआर-2621 और एचपीआर-2143 हैं। जिसमें अधिक पैदावार हो सकती है। जबकि मक्का की बिजाई निचले पर्वतीय क्षेत्रों में 15 मई से जून के प्रथम सप्ताह और मध्य एवं ऊंची पर्वतीय क्षेत्रों में 20 मई से 15 जून तक करनी चाहिए। मक्का की बिजाई छिटकवां की बजाय लाइन में करनी चाहिए। मक्का की फसल में लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें। बीज की गहराई 3.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। मक्का को चारा के लिए भी उगाया जा सकता है इससे अधिक उपज और अच्छी किस्म का चारा प्राप्त होता है।अफ्रीकन टॉल किस्म की बिजाई के लिए बीज की मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए।
मक्का साइलेज बनाने के लिए उत्तम फसल है। सिंचाई वाले क्षेत्रों में मानसून से पहले मई - जून में बिजाई कर चारे की फसल ली जा सकती है ताकि गर्मियों में हरा चारा उपलब्ध हो सके। प्रदेश के निचले पर्वतीय क्षेत्रों में जहां टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च व कद्दू वर्गीय फसलों की बिजाई या रोपाई फरवरी के दूसरे या मार्च के प्रथम पखवाड़े में की गई हो वहां इन सब्जिय़ों में निराई-गुड़ाई करें।मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में फूलगोभी की अगेती किस्मों की पनीरी उगाने का उपयुक्त समय है। इन्हीं क्षेत्रों में जहां टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च, लाल मिर्च की रोपाई, भिंडी, फ्रांसबीन की बिजाई और कद्दू वर्गीय सब्जियों जैसे खीरा, करेला, घीया, तोरी, कद्दू और चप्पनकद्दू की बीजाई या रोपाई न हुई हो तो इन सभी की बिजाई या रोपाई करें।ऊंचाई वाले क्षेत्रों में खेतों में लगी हुई सब्जियों जैसे फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, गाजर, मूली, शलजम, लैटयूस, पालक, मटर इत्यादि की निराई-गुड़ाई करें। जबकि टमाटर, बैंगन, लाल मिर्च और शिमला मिर्च आदि सब्जियों की पौध को कमरतोड़ रोग से बचाने के लिए क्यारियों को फार्मेलीन पानी में मिलाकर क्यारी को बिजाई से 15-20 दिन पहले शोधित करें।
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