भुंतर बैली ब्रिज में अस्थायी व्यवस्था से बढ़ा हादसों का खतरा
कुल्लू,ब्यूरो रिपोर्ट
जिले के प्रवेशद्वार भुंतर में सबसे बड़े भुंतर बैली ब्रिज में वाहनों के अतिरिक्त दबाव से हादसों की आशंका बनी रहती है। जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग भी शायद किसी हादसे के इंतजार में हैं। आपदा में पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद बैली ब्रिज में अस्थायी जुगाड़ कर पुल के एक हिस्से के स्ट्रक्चर को थाेड़ा सा ऊंचा कर दूसरे हिस्से के साथ जोड़ दिया था। यह व्यवस्था सिर्फ तीन महीने के लिए अस्थायी तौर पर की गई थी।
अब नौ महीने बीत जाने के बाद भी यही जुगाड़ चला है। पुल से बड़े वाहनों, बसों, ट्रकों आदि की आवाजाही बंद रखी है।केवल छोटे वाहनों को आवाजाही की अनुमति दी गई है। भुंतर बैली ब्रिज में अक्सर जाम लगता है। बैली ब्रिज के एक हिस्से में केवल एकतरफा वाहनों को छोड़ा जाता है। पुल पर वाहन जाम के चलते खड़े रहने से भी पुल पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। बता दें कि जुलाई 2023 की आपदा के दौरान भुंतर का बैली ब्रिज भी क्षतिग्रस्त हो गया था। एक हिस्से में बैली ब्रिज को ऊंचा कर दिया गया। लोहे के स्ट्रक्चर का वजन अब पुल का जो हिस्सा सुरक्षित बचा है, वह सहन कर रहा है। पुल पर जाम लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बैली ब्रिज का सुरक्षित हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो रहा है।
अगर अस्थायी रूप से की गई व्यवस्था को बदलकर बैली ब्रिज की मरम्मत नहीं की तो बड़ा हादसा पेश आ सकता है।भुंतर पुल से बड़े वाहनों की आवाजाही बंद रखे जाने से मणिकर्ण घाटी, पारला भुंतर और गड़सा घाटी की तरफ जाने वाले लोगों को दिक्कतें पेश आती हैं। उन्हें बस स्टैंड से डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल चलकर पुल के दूसरी तरफ पहुंचना पड़ता है। पिछले दिनों लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल भी उपायुक्त से इस संबंध में मिला है। लोग पुल के बंद होने का विरोध कर रहे हैं और जल्द पुल को बसों के लिए खाेलने की मांग कर रहे है।पुल को छोटे वाहनों के लिए तैयार किया गया था, लेकिन बाद में बड़े वाहनों को आरपार करवाया गया। अब बड़े वाहनों के लिए पुल पूरी तरह से बंद है और छोटे वाहनों को भेजा जा रहा है। स्थायी तौर पर क्या विकल्प हो सकता है, इसको लेकर विभाग काम कर रहा है।
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