जंगली जानवरों ने तोड़ दी थी आस, उगाया माल्टा, घुली जिंदगी में मिठास
काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट
लंबागांव खंड की भगेंतर पंचायत के तरेहला गांव में बंजर में तबदील हुई सैकड़ों कनाल भूमि को हरा भरा बनाने और उसमें माल्टा फल लगाकर कमाई करने से शिवा प्रोजेक्ट कारगर साबित हुआ है। जंगली जानवरों से खेती उजड़ने से परेशान किसानों के चेहरों पर पिछले कई सालों से छाई मायूसी के बाद अब रौनक लौट आई है।
यही नहीं, यह प्रोजेक्ट बेरोजगार किसानों और युवाओं को रोजगार देने में भी कारगर साबित हुआ है। लंबागांव खंड की भगेंतर पंचायत के तरेहला गांव के लोगों ने बेसहारा पशुओं और जंगली जानवरों के आंतक से दुखी होकर के अपनी सैकड़ों कनाल पुश्तैनी जमीन पर खेती छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था।नतीजन 15 सालों से खाली पड़ी यह जमीन बंजर में तबदील हो गई, लेकिन 2021 में तरेहला गांव के 54 किसानों की इस 250 कनाल बंजर पड़ी जमीन में उद्यान विभाग ने शिवा प्रोजेक्ट के माध्यम से फलदार पौधे लगाने की शुरुआत हुई। शुरुआत में केवल 25 कनाल भूमि पर ही 1,529 माल्टे के पौधे लगाए गए थे। धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ाया गया और अब 250 कनाल भूमि में 9929 माल्टे के पौधे लगाए गए हैं। इन फलदार पौधों को लगाने में करीब 1.25 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। किसानों का कोई पैसा खर्च नहीं हुआ है।
आज इन 9929 पौधों में से 2529 पौधों ने इस साल फल देना भी आरंभ कर दिया है। इन पौधों से इस साल तरेहला गांव के लोगों को करीब 22 टन की पैदावार हुई। लोगों का माल्टा घर बैठे ही बिक गया और किसानों को मंडियों में जाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। इससे किसानों की आर्थिकी मजबूत हुई।क्षेत्र के सुभाष चंद, पुनीत चंद, रणजीत सिंह, कांशीराम, श्रवण कुमार, उधम सिंह, रणधीर सिंह, चैचला देवी, कांता देवी, सुलोचना देवी और जरनैल सिंह आदि किसानों का कहना है कि शिवा प्रोजेक्ट के माध्यम से माल्टा की खेती से उनके जीवन में खुशहाली और रौनक लौट आई है।इस वर्ष शिवा प्रोजेक्ट के माध्यम से जिला कांगड़ा में 40 क्लस्टर लगाए जाएंगे। एक क्लस्टर में 250 कनाल जमीन को लिया जाता है। इन नए लगाए जाने वाले 40 क्लस्टरों से 8500 किसान लाभान्वित होंगे।
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