मरीजों की फूलीं सांसें, टेस्ट मशीन की ‘धड़कन’ रुकी
मंडी, ब्यूरो रिपोर्ट
जोगिंद्रनगर नागरिक अस्पताल की प्रयोगशाला में फिर से मशीनरी खराब हो गई है। नतीजतन, मरीजों के लीवर, हृदय, ब्लड, यूरिया और कोलेस्ट्रोल से संबंधित लगभग आठ सौ से अधिक जांच अब नहीं हो पा रही हैं। उपचार के लिए पहुंच रहे मरीजों के पास करीब 12 साल पुरानी बायो केमिस्ट्री मशीन में टेस्टों के परीक्षण न होने से उनकी समस्याएं बढ़ गई हैं।
मरीजों को अस्पताल की सरकारी प्रयोगशाला में एलएफटी, लिपिड प्रोफाइल, आरएफटी और यूरिकेसिड टेस्ट नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। मरीजों को अस्पताल से बाहर स्थित प्रयोगशालाओं में कम दरों पर टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अस्पताल की बायोकेमिस्ट्री मशीन पिछले कुछ दिनों से काम नहीं कर रही है।
ईमेल के माध्यम से इसकी मरम्मत के लिए राज्य से बाहर के तकनीशियनों को सूचित किया गया है, लेकिन सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे तकनीशियनों के अस्पताल में पहुंचने से टेस्ट सेवाएं आगामी कुछ दिनों तक प्रभावित रहेंगी। प्रयोगशाला में तैनात तकनीशियनों से मिली जानकारी के अनुसार, बार-बार आने वाली तकनीकी खराबी से मरीजों के टेस्ट प्रभावित हो रहे हैं।
प्रयोगशाला के प्रभारी विरेंद्र कुमार ने बताया कि अस्पताल प्रशासन को पहले भी मशीनरी में आई तकनीकी खराबी को सुधारने के लिए हजारों रुपये खर्च करने पड़े थे। बावजूद इसके, फिर से तकनीकी खराबी हुई है। ऐसे में तकनीशियनों ने भी अस्पताल की प्रयोगशाला में नई मशीनरी लगाने की मांग की है। नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉ. रोशन लाल कौंडल ने बताया कि प्रयोगशाला की जिस मशीनरी में तकनीकी खराबी हुई है, उसे जल्द ही सुधारने के लिए तकनीशियनों को बुलाया गया है।
निजी प्रयोगशाला क्रस्ना में मरीजों की भीड़ बढ़ी है क्योंकि नागरिक अस्पताल जोगिंद्रनगर में एक मशीनरी में आई तकनीकी खराबी ने टेस्ट सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है। ऐसे में, गंभीर मरीजों को अपने टेस्ट करवाने और रिपोर्ट हासिल करने में भी कठिनाई होती है। सरकारी अधिकृत नागरिक अस्पताल की क्रस्ना लैब में भी मरीजों की संख्या दोगुना बढ़ गई है और मरीजों का इंतजार भी यहां बढ़ा है। क्रस्ना लैब की प्रभारी सरिता ने कहा कि प्रयोगशाला में मरीजों के टेस्ट को समय पर लेने के साथ-साथ रिपोर्ट को जल्द से जल्द देने के प्रयास जारी हैं।
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