हिमाचल प्रदेश में एमएसपी पर शराब बिकेगी, ठेकेदार खुद लाभांश तय करेंगे
शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में शराब की दुकानें अब अलग-अलग मूल्यों पर उपलब्ध होंगी। सरकार ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान बिक्री करने का निर्णय लिया है।
बोतल पर पहले अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) लिखा था, लेकिन अब न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी ) लिखा गया है। कारोबारी ने बिक्री का सबसे अधिक दाम नहीं दिया है। उसे अपना लाभांश निर्धारित करना होगा। सरकार ने अवैध शराब को नियंत्रित करने और पड़ोसी राज्यों से मुकाबले के लिए आबकारी नीति में यह बदलाव किया था।
1 अप्रैल से नई प्रणाली लागू हो गई है। कर एवं आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इससे बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा होगी। यदि शराब महंगी हो तो ग्राहक दूसरे ठेके पर जाकर मूल्य जानेंगे। ग्राहक इस परिस्थिति में सस्ते शराब खरीदेंगे। नई नीति के तहत एमएसपी से बहुत अधिक मार्जिन पर शराब बेचने वाले ठेकेदारों को भी चेतावनी दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि कुछ वर्ष पहले एमएसपी वाली नीति से शराब की बिक्री होती थी। पुरानी नीति अब फिर से लागू की गई है।
नई नीति ने ठेकेदारों को मासिक कोटा देने की शर्त भी खत्म कर दी है। कारोबारियों को इससे राहत मिली है। नए प्रावधान से इस साल करीब 2,800 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य विभागीय अधिकारियों ने रखा है। 2023-24 के दौरान सरकार को 2,600 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। ठेकों पर सभी ब्रांडों की दरों की सूची लगाना अनिवार्य है। रेट लिस्ट पर ही संबंधित क्षेत्र के कर और आबकारी निरीक्षक का फोन नंबर दर्ज करना आवश्यक होगा। ऐसा नहीं करने वाले कारोबारी भी दंडित होंगे। फोन पर किसी शराब कारोबारी से उच्च दरों की शिकायत की जा सकती है।
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