विभाग का दावा की कई महीनो से नहीं आये ग्लूकोज की सप्लाई
सोलन,ब्यूरो रिपोर्ट
सोलन जिले में गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले ग्लूकोज के कुछ पैकेट एक्सपायर हो गए हैं। हैरत की बात तो यह है कि न तो जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पता है और न ही इसकी भनक किसी को कर्मचारियों ने लगने दी। बताया जा रहा है कि पीएचसी और सब सेंटरों में बिना किसी को बताए एक्सपायरी ग्लूकोज फेंकवाने का भी आरोप है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग के पास इसका डाटा भी नहीं हैं।
इसका खुलासा तब हुआ जब क्षेत्रीय अस्पताल में ग्लूकोज खत्म होने के बाद साथ लगते क्षेत्र से मंगवाया था, लेकिन पैकेट को एक्सपायरी होने पर नहीं भेजा गया।इसके बाद बाहर से ग्लूकोज के पैकेट को मंगवाया गया। वहीं, विभाग दावा कर रहा है कि बीते कई माह से अस्पतालों में ग्लूकोज के यह पैकेट ही नहीं आए हैं। इसके चलते अपने आपमें बड़े सवाल जिला स्वास्थ्य विभाग पर खड़े हो रहे हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं को अब ग्लूकोज शुगर जांच टेस्ट से पहले बाहर से ग्लूकोज खरीदना पड़ रहा है।सूत्रों के अनुसार बीते दिनों अधिक मात्रा में ग्लूकोज के पैकेट एक्सपायरी हो गए। इसका बड़ा कारण गर्भवती महिलाओं के पास ग्लूकोज पैकेट न पहुंचना है। फील्ड वर्करों की ओर से ग्लूकोज गर्भवती महिलाओं के घर तक पहुंचाया जाता है। खास बात तो यह है कि 75 ग्राम ग्लूकोज की पैकिंग मात्र सरकारी अस्पतालों में ही होती है। बाजार में 100 ग्राम की पैकिंग आती है।
अस्पताल से मिलने वाला ग्लूकोज शुगर की जांच से कुछ घंटों पहले महिलाएं 75 ग्राम पाउडर ग्लूकोज का पानी के साथ सेवन करती हैं। इसके बाद जीटीटी (ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट) किया जाता है। इसमें गर्भवती महिलाओं में शुगर की जांच होती है। अस्पतालों में एक्सपायर होने के बाद गर्भवती महिलाओं को इसे नहीं दिया जा रहा है और जब महिलाएं इसकी जांच के लिए ग्लूकोज की मांग करती है तो उन्हें मना कर दिया जाता है। इस कारण गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी पेश आ रही है। वहीं अस्पतालों में अभी नए ग्लूकोज के पैकेट की सप्लाई भी नहीं हो पाई है।महिलाओं के गर्भवती होने पर शुगर होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है जब पैंक्रियाज में मां और बच्चे की जरूरतों को पूरा के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं बन पाता। अस्पतालों में चिकित्सक गर्भ के 24 से 28 सप्ताह के बीच हर गर्भवती महिला का डायबिटीज टेस्ट करवाते हैं। इस टेस्ट को करने के लिए जीटीटी (ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट) या ग्लूकोज-75 का टेस्ट किया जाता है।इस मामले का पता किया जा रहा है। फील्ड वर्करों से रिकॉर्ड मांगा गया है। अगर कहीं पर ऐसा हुआ होगा तो संबंधित वर्करों पर कार्रवाई होगी।
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