27 मई को हाटियों को जनजातीय दर्जे पर अंतरिम रोक जारी रहेगी
शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटियों को जनजातीय दर्जा देने से जुड़े कानून के कार्यान्वयन पर अंतिम रोक लगा दी है। सिरमौर के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय का जनजातीय दर्जे का मामला एक बार फिर अदालत में चला गया है क्योंकि राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने अदालत में जवाब नहीं दिया है।
न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ और मुख्य न्यायाधीश रविचंद्र राव की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। साथ ही, 1 जनवरी 2024 को हिमाचल प्रदेश जनजातीय विकास विभाग की ओर से जारी की गई अधिसूचना, जिसमें उपायुक्त को जनजातीय प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया गया था, कोर्ट ने रोक रहेगी। राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों ने अदालत में जवाब देने के लिए कुछ समय की मांग की।
27 मई को अगली सुनवाई होगी। सिरमौर जिले की गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार सरंक्षण समिति, पिछड़ा वर्ग, गुर्जर समाज कल्याण परिषद और अन्य ने इस मामले को हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें ट्रांसगिरि क्षेत्र के हाटी समुदाय को आरक्षण देने की मांग की गई है। हाटी समुदाय को अब कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा क्योंकि मामला हाईकोर्ट में चल रहा है।
1967 में उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजातीय दर्जा मिलने के बाद से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग संघर्ष कर रहे हैं। 14 सितंबर 2022 को, कई वर्षों के संघर्ष के बाद, केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को मंजूरी दी। 16 दिसंबर 2022 को, केंद्रीय सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में पारित कर दिया। बाद में यह विधेयक राज्यसभा से भी पारित हुआ। राज्यसभा द्वारा पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया।
विधेयक पर 9 दिनों के अंदर राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी। हाटी समुदाय के चार विधानसभा क्षेत्रों (शिलाई, रेणुका, पच्छाद और पांवटा साहिब) में करीब दो लाख लोग रहते हैं। कुल 269 पंचायतों में से ट्रांसगिरी में 154 पंचायतें हैं। एसटी संशोधित विधेयक इन 154 पंचायतों की 14 जातियों और उपजातियों को शामिल करता है।
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