सेलिब्रिटी हिमाचल की राजनीति से हमेशा दूर रहे हैं, स्थानीय नेताओं पर ही भरोसा किया
शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक बहस से सेलिब्रिटी हमेशा दूर रहे हैं। आज तक कोई राजनीतिक पार्टी ने इनको चुनाव मैदान में उतारने का जोखिम नहीं उठाया है। भाजपा-कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल और उसके संगठन को भी बाहरी चर्चित चेहरे पसंद नहीं आए हैं।
यहां तक कि लोग स्थानीय नेताओं पर भरोसा करते हैं। पैराशूटी नेताओं ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति में शामिल होने से सिर्फ बचाव किया है। हिमाचल प्रदेश ने लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनावों में बाहरी नामों पर दांव लगाने से परहेज किया या फिर उनमें सफलता नहीं मिली। बागी विधायकों ने इस बार भी राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को प्रत्याशी बनाने को बगावत की मुख्य वजह बताया।
स्थानीय नेताओं का नाम इस बार चुनाव में सबसे अधिक चर्चा में है। भाजपा ने हमीरपुर से अनुराग ठाकुर और शिमला से सुरेश कश्यप दोनों मौजूदा सांसदों को टिकट दिया है। स्थानीय नेता के नाम भी अन्य दो सीटों के पैनल में हैं। कांग्रेस भी राज्य के विश्वासपात्र नेताओं पर निर्भर होगी।
उनकी सूची में कोई प्रसिद्ध व्यक्ति नहीं है और कोई बाहरी व्यक्ति भी नहीं है। प्रदेश की दो चर्चित अभिनेत्री कंगना रणौत और अनुपम खेर अक्सर लोकसभा चुनावों में चर्चा में रहते हैं। कंगना ने मंडी में हुए लोकसभा उपचुनाव में भी नामांकन किया था, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। भाजपा ने कभी कंगना को टिकट नहीं दिया। अनुपम खेर का निवास शिमला में है। ऐसे में भाजपा से सांसद रहीं पत्नी किरण खेर का नाम भी चुनावों में आता है, क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधित हैं।
चुनाव लड़ने को लेकर अनुपम ने खुले मंच से कभी कुछ नहीं कहा। कांग्रेस अध्यक्ष ने 2009 के लोकसभा चुनाव में क्रिकेटर और स्थानीय निवासी मदनलाल को हमीरपुर संसदीय सीट से टिकट दिया, जो एक अनिवार्य प्रक्रिया थी। वह टिकट मिलने के बाद हिमाचल में रोड शो करने लगे। इसमें संगठन के सदस्यों ने विरोध जताना शुरू किया। वह तुरंत दिल्ली गए और चुनाव में भाग नहीं लेने की घोषणा की। नरेंद्र ठाकुर ने इसके बाद हमीरपुर से चुनाव जीता था। उस समय, उन्होंने अनुराग ठाकुर को कांग्रेस के अन्य उम्मीदवारों की तुलना में कड़ी टक्कर दी थी।
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