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ईवीएम को मतदान से पहले चार बार जांची जाएंगी

             3995 केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, ईवीएम चार बार जांची जाएगी मतदान से पहले

शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट 

चुनावों में इस्तेमाल से पहले, ईवीएम और वीवीपैट को चार बार जांचा जाएगा। मशीनों की प्रारंभिक जांच पूरी हो चुकी है। अभी तीन चरणों की जांच पूरी होनी है। ईवीएम के आवंटन में भेदभाव को रोकने के लिए, किस पोलिंग बूथ को कौन सी ईवीएम मिलेगी, यह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से होगा। 


मतदान से पहले स्ट्रांग रूम में ईवीएम पुलिस की सुरक्षा में रहेंगे, और मतदान के बाद स्ट्रांग रूम के बाहर तीन स्तर की सुरक्षा व्यवस्था होगी, जिसमें केंद्रीय बल भी शामिल होंगे। प्रदेश में 3,995 मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इन मतदान केंद्रों में कैमरे हर काम देखेंगे।  


एक जून को हिमाचल प्रदेश में होने वाले छह लोकसभा व विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए बंगलूरू से अतिरिक्त 3,200 इलेट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) भेजी गई हैं। राज्य निर्वाचन विभाग पहले से विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई करीब 8,000 मशीनें रखता है। 


3,200 और ईवीएम बंगलूरू की निर्माता कंपनी से आए हैं। 11,200 ईवीएम को मतदान से पहले राज्य में 12 सुरक्षित स्ट्रांग रूम में सुरक्षित स्थानांतरित किया गया है। यह करीब 2,400 बैलेट यूनिट, सीयू (कंट्रोल यूनिट) और वीवीपैट रिजर्व में रखा जाएगा, ताकि मतदान के दौरान खराबी या किसी अन्य कारण से मतदान प्रक्रिया प्रभावित न हो। 


पहला कदम:  ईवीएम काम कर रहे हैं या नहीं, यह जांच की गई है। 

दूसरी स्टेज: प्रयोग के लिए वोटों को स्ट्रांग रूम में स्थित ईवीएम में डालकर जांचा जाएगा और वीवीपैट से मिलाया जाएगा। 

तीसरी स्टेज: ईवीएम में अपलोड होने के बाद प्रत्याशियों के नाम, चुनाव चिह्न और नोटा बटन की जांच की जाएगी। 

चौथा और अंतिम चरण : बूथ पर वोटिंग शुरू होने से पहले प्रत्याशी के एजेंट के सामने एक मॉक पोल होगा। वीवीपैट और वोट पर्चियों को एक साथ मिलाया जाएगा। ईवीएम से मॉक पोल सही पाए जाने पर सार्वजनिक रूप से भेजा जाएगा। राजनीतिक दलों के सदस्य हर जांच के दौरान उपस्थित रहेंगे।

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