सियासी उठापटक ने पक्का किया कंगना का टिकट
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
एक महीने से चल रही सियासी उठापटक ने ही मंडी से कंगना रणौत का टिकट पक्का किया है। भाजपा ने अगली रणनीति के तहत नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को लोकसभा चुनाव में नहीं उतारा है। वहीं, कांगड़ा संसदीय सीट में ब्राह्मण चेहरे और संगठन से जुड़े पुराने नेता डॉ. राजीव भारद्वाज पर दंव खेला गया है। हमीरपुर और शिमला के बाद मंडी व कांगड़ा लोकसभा सीटों पर भाजपा के टिकटों को घोषित करने में देरी का कारण फरवरी से शुरू हुई राजनीतिक गहमागहमी है। पहले माना जा रहा था कि मंडी से जयराम ठाकुर ही उम्मीदवार होंगे, क्योंकि उपचुनाव में कांग्रेस के खाते में गई इस एकमात्र सीट पर भाजपा कोई जोखिम नहीं लेगी।
अल्पमत में होने के बावजूद क्रॉस वोटिंग से राज्यसभा चुनाव जीतने के बाद राज्य सरकार को संकट में डालने का व्यूह रच रही भाजपा अगली मोर्चेचंदी के तहत अब एक भी विधायक कम नहीं होने देना चाहती है। संख्याबल को बनाए रखने के लिए वह तब किया गया है कि जयराम ठाकुर को प्रदेश की राजनीति में ही सक्रिय रखना होगा। कंगना रणौत की राजनीतिक सक्रियता से यह शुरू से ही लग रहा था कि वह भी मंडी के लिए भाजपा के पास एक और विकल्प है।
हालांकि टिकटार्थियों के पैनल में उनका नाम नहीं था। मगर भाजपा ने उन्हें टिकट देने का फैसला लेकर अचानक चौंका डाला। वहीं, भाजपा सेलिब्रिटी की चुनाव में उतारने के प्रयोग पड़ोसी राज्यों में सनी देवोल, किरण खेर आदि के रूप में कर चुकी है और अब हिमाचल में भी आजमाया जा रहा है। ऐसे में कंगना के महिला चेहरा देकर भी भाजपा ने मंडी संसदीय क्षेत्र की आधी आबादी को लक्षित किया है तो लक्ष्य में राजपूत समुदय भी है।कंगना का प्रोफाइल, बेचाक अंदाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव, राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों में भाजपा की पक्षधरता जैसी बातों को भी ध्यान में रखा गया होगा। कांगड़ा की बात करें तो वहां से ब्राहमण समुदाय से शांता कुमार और राजन सुशांत भी चुनाव जीत चुके हैं। डॉ. भारखज भाजपा पा के राष्ट्रीय नेता रहे। शांता कुमार के भी करीबी रहे हैं और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नहडा और प्रादेशिक भाजपा नेताओं से भी नजदीकियां हैं।
दो बार के भाजपा सांसद किशन कपूर गद्दी समुदाय से थे तो उनके स्वास्थ्य कारणों और कांगड़ा में एंटीइनकमबेसी फैक्टर को कुंद करने के लिए उनका टिकट काटकर संगठन से जुड़े नेता को तरजीह देना भी उचित माना गया। बहरहाल, प्रदेश की चारों सीटों की बात करें तो शिमला सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कांगड़ा में ब्राह्मण और मंडी व हमीरपुर में राजपूत चेहरों को टिकट देकर भाजपा ने जातीय, क्षेत्रीय संतुलन साधने का भी दांव चला है। तो पार्टी ने उनका रसूख साधने का भी प्रयास किया है।
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