भाजपा ने निर्दलियों का भविष्य बचाने का दाव खेला, जबकि भाजपा ने अपना प्रभुत्व बढ़ाने का दाव खेला
शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट
तीन निर्दलीय विधायकों ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव और उपचुनाव से पहले अपना इस्तीफा दे दिया, जो भाजपा को अपनी सत्ता बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। निर्दलीय विधायकों ने भी अपना भविष्य बचाने के लिए यह दाव खेला है।
हिमाचल प्रदेश में इस्तीफे के बाद निर्दलीय विधायकों ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की, जिससे राजनीतिक समीकरण भी बदल गए हैं। भाजपा अब लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में पहले से ही बड़ी चुनौती सामने आई है। पिछले कुछ दिनों में निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे की योजना बन गई थी।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से लंबी चर्चा के बाद, निर्दलीय विधायकों को भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया जाएगा। पक्का आश्वासन मिलने के बाद ही निर्दलीय विधायकों ने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया। हालाँकि, नालागढ़ से विधायक केएल ठाकुर पहले भी भाजपा का सदस्य थे।
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा सदस्य के लिए हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में तीन निर्दलियों के अलावा कांग्रेस के छह बागियों ने भी मतदान किया था। निर्दलीय विधायकों का कहना है कि यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है कि वे किस प्रत्याशी को वोट दें। भाजपा का साथ देने वाले तीनों निर्दलीय अब इस्तीफा देने के बाद भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने की हुंकार भर चुके हैं। भाजपा को अब चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश करनी होगी, साथ ही नौ विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनावों को लेकर योजना बनानी होगी। संगठन को नौ विधानसभा क्षेत्रों में पुराने कर्मचारियों की नाराज़गी भी झेलनी पड़ सकती है।
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