हिमाचल में अलर्ट: कई राज्यों में बच्चों को खसरा टीका नहीं लगाया गया
सोलन , ब्यूरो रिपोर्ट
कोरोनावायरस महामारी के दौरान देश समेत प्रदेश में भारी लापरवाही सामने आई है। कुछ राज्यों में बच्चों को खसरे का टीका नहीं लगाया गया है, ऐसा बताया जा रहा है। इसलिए बाहरी क्षेत्रों में बच्चों में खसरे के लक्षण देखे जा रहे हैं। इस तरह की लापरवाही ग्रामीण क्षेत्रों में हुई है। यह अब स्पष्ट है।
जब बच्चे बाहरी राज्यों के अस्पतालों में खसरे से संबंधित लक्षणों से पहुंच रहे हैं प्रदेश में अभी ऐसा कोई मामला नहीं हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय को सूचित किया गया है। वहीं पिछले वर्ष मिशन इंद्रधनुष ने भी ऐसे बच्चों को सहारा दिया था। जो पहले से खसरे का टीका नहीं लिया था। स्वास्थ्य विभाग भी अभिभावकों से ऐसी जानकारी ले रहा है।
यह भी कहा जा रहा है कि जिन बच्चों को एमआर यानी मिजल्स और रुबेला वैक्सीन नहीं दी गई है, वे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर वैक्सीन लगा लें। कोरोना महामारी के दौरान अभिभावक अपने बच्चों को अस्पताल नहीं ले जाते थे। यही कारण है कि कई नवजात बच्चे खसरे के टीके से बच गए। बीते वर्ष भी बाहरी राज्यों में खसरे जैसे लक्षण के मामले सामने आए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस तरह की जानकारी लेने के लिए महकमे को अलर्ट किया था।
विभागों ने मिशन इंद्रधनुष के तहत भी बच्चों को टीकाकरण किया था। तेज बुखार (104 डिग्री से अधिक) और खांसी, बहती नाक, लाल और पानी भरी आंखें टीका खसरा नियंत्रण में बहुत प्रभावी है। नौ माह से अधिक की उम्र वाले 85 प्रतिशत बच्चे और बारह माह से अधिक की उम्र वाले 95 प्रतिशत बच्चे पहली खुराक के बाद सुरक्षित रहते हैं। नौ महीने की उम्र में पहली टीका दी जाती है। 12 से 18 महीने के बीच में दूसरा टीका लगाया जाता है। पांच साल के बच्चों को भी स्वास्थ्य विभाग की मदद मिलती है।
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