भाजपा ने उपचुनाव के मैदान में स्वागत और विरोध के बीच 'नए चेहरे' पेश किए
शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव की बिछी बिसात में कुटलैहड़ और देहरा के बाद भाजपा ने छह और विधानसभा हलकों में नए लोगों को मैदान में उतारा है। पार्टी नेतृत्व ने धर्मशाला, हमीरपुर, ऊना और सोलन में विरोध और स्वागत के बीच एकजुटता के साथ सब ठीक है का संदेश देने का प्रयास किया।
धर्मशाला में सांसद किशन कपूर ने स्वागत कार्यक्रमों से दूरी बनाई, जबकि ऊना में पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर ने ऐसा नहीं किया। भाजपा के 2022 के प्रत्याशियों ने गगरेट में पूर्व प्रत्याशी राजेश ठाकुर को छोड़कर अन्य पांच क्षेत्रों में हुए कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी। राज्यसभा चुनाव के लगभग एक महीने बाद, एक निर्दलीय विधायक और पांच बागी पहली बार भगवा चोला ओढ़कर अपने हलकों में पहुंचे।
कुटलैहड़ में देवेंद्र भुट्टो और देहरा में होशियार सिंह के स्वागत के बाद, अन्य बागियों और निर्दलीयों ने अपने चुनावी क्षेत्रों में लौटे। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. बिंदल ने पहले हमीरपुर और फिर धर्मशाला में काम किया, जबकि पूर्व सीएम जयराम ऊना में रहे। पार्टी के अन्य नेताओं को भी काम पर लगाया गया था।
पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों ने धर्मशाला में सुधीर शर्मा, सुजानपुर में राजेंद्र राणा, हमीरपुर में आशीष शर्मा, बड़सर में इंद्रदत्त लखनपाल, ऊना के गगरेट में चैतन्य शर्मा और सोलन के नालागढ़ में केएल ठाकुर का गर्मजोशी से स्वागत किया। धर्मशाला के मंच पर संसदीय क्षेत्र के विधायकों के अलावा भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी डॉ. राजीव भारद्वाज भी उपस्थित थे। कार्यक्रमों में संगठन पदाधिकारियों की भरपूर भागीदारी रही। संगठन का बहुमत अपने स्थानीय कार्यक्रमों में मौजूद रहा।
सांसद किशन कपूर, बागियों के उत्साह के बीच धर्मशाला में होकर भी दूर रहे। बुधवार को धर्मशाला से पूर्व प्रत्याशी राकेश चौधरी ने भी इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के पूर्व प्रत्याशी रहे कैप्टन रणजीत सिंह राणा, नरेंद्र ठाकुर और माया शर्मा सहित उनके पति पूर्व विधायक बलदेव शर्मा ने भी कार्यक्रम में भाग नहीं लिया। नालागढ़ में कार्यक्रम से पूर्व प्रत्याशी लखविंद्र राणा और उनके समर्थकों ने इनकार कर दिया। लेकिन गगरेट में चैतन्य के लिए सजे मंच पर पूर्व विधायक राजेश ठाकुर भी मौजूद रहे।
धर्मशाला में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार और गगरेट में पूर्व सीएम जयराम ठाकुर भी उपस्थित थे। सुजानपुर में पूर्व मंत्री बिक्रम ठाकुर राजेंद्र राणा, हमीरपुर में राज्यसभा सांसद डॉ सिकंदर आशीष शर्मा और बड़सर में विधायक राकेश जम्वाल इंद्रदत्त लखनपाल उनके साथ रहे। भाजपा ने छह क्षेत्रों में हुए इन स्वागत कार्यक्रमों के माध्यम से नवोदित लोगों को उपचुनाव के मैदान में लाकर कार्यकर्ताओं से रूबरू कराया।
साथ ही, कार्यकर्ताओं को बताने की कोशिश की कि संगठन अब पार्टी के नए चुनावी चेहरों की जीत के लिए काम कर रहा है। हमीरपुर के बागी विधायक राजेंद्र राणा, इंद्रदत्त लखनपाल और निर्दलीय आशीष शर्मा, जो अयोग्य ठहराए गए हैं, शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से मिल सकते हैं। जानकारी के अनुसार, तीनों ने समीरपुर में पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात करके उनका मार्गदर्शन और समर्थन लेने की कोशिश करेंगे।
बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री धूमल से भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने मुलाकात की है। कांग्रेस ने बागी विधायकों के स्वागत कार्यक्रम में छोटा सा विरोध प्रकट किया। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने सुजानपुर और गगरेट में काले झंडे दिखाकर आक्रोश व्यक्त किया। इसके अलावा, कांग्रेसी धरना-प्रदर्शन में भाग नहीं लेते थे। कांग्रेस ने बयान देकर इसका विरोध किया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के बागी विधायकों और निर्दलीय विधायकों को भाजपा के मंच पर बुलाया।
अपने भाषण के अधिकांश हिस्से में, उन्होंने सीएम सुक्खू पर निशाना साधकर विद्रोह को सम्मान से जोड़ा। पार्टी छोड़कर भाजपा का साथ देने का निर्णय बताते हुए अपना पक्ष मजबूत करने का प्रयास किया। पार्टी और कांग्रेस के सदस्यों ने कोई नाराज़गी नहीं व्यक्त की। कांग्रेस के बागियों को टिकट देने के बाद, प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर को रूठे भाजपा नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है।
केंद्रीय नेतृत्व इस मामले में पहले चरण में हस्तक्षेप नहीं करेगा। राष्ट्रीय भाजपा नेतृत्व को हर दिन प्रदेश की स्थिति और रूठे नेताओं को बताना होगा। वीरवार को, राज्य अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इसी मोर्चेबंदी के बीच छह रैलियां कीं। इसने एकता का सन्देश दिया। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सूत्रों के अनुसार राजीव बिंदल और जयराम ठाकुर को अपनी रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए कहा है।
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