पौंग झील में पिछले सालों की तुलना में प्रवासी पक्षी कम
ज्वाली,रिपोर्ट राजेश कतनौरिया
पौंग झील में इस बार प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा शून्य रही तथा अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हुए इस बार पौंग झील में पिछले सालों की तुलना में प्रवासी पक्षी कम आए हैं। पौंग झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन्य प्राणी विभाग का गठन करके जिम्मा सौंपा गया तथा झील किनारे अवैध खेती पर प्रतिबंध लगा दिया गया ताकि प्रवासी पक्षी झील से बाहर निकलकर खुली जमीन में भी घूम सकें। पौंग झील में आने वाले कुछेक प्रजाति के पक्षी झील में ही रहना पसंद करते हैं जबकि अधिकतर पक्षी झील के बाहर खुली जमीन में घूमना पसंद करते हैं।
जब से वन्य प्राणी विभाग ने झील किनारे हो रही खेती को सख्ती से बन्द करवाया था तब से झील में ज्यादा पक्षी आ रहे थे लेकिन इस बार झील किनारे होने वाली खेती को बन्द नहीं करवाया गया जिस कारण झील में गत वर्ष की तुलना में कम पक्षी आए। झील किनारे खेती करने वालों ने खेती को प्रवासी पक्षियों से बचाने के लिए बाड़बंदी की थी तो वहीं जाल या डोरियां लगाकर रखी थीं। इन डोरियों व जालों में प्रवासी पक्षी फंस रहे थे और उनका शिकार कर लिया जाता रहा। इसके अलावा झील किनारे हुई खेती में कीटनाशक डालकर प्रवासी पक्षियों का शिकार होता रहा लेकिन वन्य प्राणी विभाग मूकदर्शक बना रहा। वन्य प्राणी विभाग ने इस बार खेती करने वालों पर कोई शिकंजा नहीं कसा तथा मिलीभगत से कुछेक चालान काटकर खानापूर्ति की गई। हालांकि इस बार खेती करने वालों को राजनीतिक संरक्षण भी रहा जिसके दबाब में वन्य प्राणी विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पर्यावरण प्रेमी मिलखी राम शर्मा ने कहा कि झील में इस बार तापमान 19 डिग्री से कम होने का हवाला देकर गत वर्ष की तुलना में करीबन 30हजार पक्षी कम आने की बात वन्य प्राणी विभाग बोल रहा है लेकिन ऐसा नहीं है। मिलखी राम शर्मा ने कहा कि तथ्यों अनुसार करीबन 30हजार प्रवासी पक्षियों का शिकार हो गया है। उन्होंने कहा कि जब झील किनारे खेती करना प्रतिबंधित है तो फिर खेती कैसे हो गई और खेतों में जाल कैसे लगाए गए। उन्होंने कहा कि वन्य प्राणी विभाग की मिलीभगत व राजनीतिक दबाब में प्रतिबन्ध के बावजूद खेती की गई है।
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