सफल शोध से प्रदेश को एक नई नगदी फसल मिलने की गुंजाइश
सोलन,ब्यूरो रिपोर्ट
नव वर्ष 2024 में नौणी विवि की ओर से रोपित किए गए कॉफी के पौधों पर चल रहे शोध को सफलता मिल सकती है। जिसमें नौणी विवि के मुख्य परिसर, केवीके कंडाघाट, जाच्छ, चंबा, नगरोटा बगवां, हमीरपुर के नेरी व सिरमौर के धौलाकुंआ में चार हजार से अधिक कॉफी के पौधों का रोपण कर अनुसंधान और प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। कॉफी में हिमाचल के लिए एक नई नगदी फसल बनने की गुंजाइश है। इससे फसल विविधीकरण में भी मदद मिलेगी और किसानों की एक ही फसल पर निर्भरता भी कम होगी।
जानकारी के अनुसार भारत को छाया (शेडो) में उगाई जाने वाली कॉफी के लिए जाना जाता है। दो मुख्य किस्में अरेबिका और रोबस्टा यहां मुख्य रूप से उगाई जाती हैं। बिलासपुर जिले के कुछ हिस्सों में कुछ किसानों ने कृषि विभाग के सहयोग से भी कॉफी के पौधे लगाए गए हैं, इसलिए इसको बड़े स्तर पर अनुसंधान करने के लिए विवि कार्य कर रहा है। शोध अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिक अब इस दिशा में काम कर हैं, ताकि हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खेती की संभावना खोजी जा सके। अनुसंधान के लिए विवि ने प्रदेश के अलग-अलग मौसम में कॉफी के पौधे लगाए हैं। इस शोध पर नव वर्ष पर सफलता मिलने की उम्मीद है, जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय का भी साधन बन सकता है।
उधर, नौणी विवि के कुलपति डॉ. राजेश्वर चंदेल ने बताया कि प्रदेश में कॉफी से फसल विविधीकरण के विषय पर नौणी विवि व घुमारवीं में दो कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। विवि ने मुख्य परिसर, कंडाघाट, जाच्छ, चंबा, नगरोटा बगवां, नेरी व धौलाकुआं में चार हजार से अधिक कॉफी के पौधों का रोपण कर अनुसंधान प्रशिक्षण शुरू कर दिए हैं। 2024 के बीच इस शोध में सफलता मिलने की उम्मीद है, जिससे किसानों को लाभ मिलेगा।
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