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सूखे की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश में बिजली उत्पादन 85 फीसदी तक घटा

                           दियों में घटा जलस्तर, 85 फीसदी तक गिर गया बिजली परियोजनाओं में उत्पादन

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

सूखे की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश में बिजली उत्पादन 85 फीसदी तक घट गया है। बीते लंबे समय से बारिश और बर्फबारी नहीं होने से नदियों में घटे जलस्तर के कारण बिजली परियोजनाओं में उत्पादन मात्र 15 फीसदी तक ही हो रहा है। इस सीजन के दौरान आमतौर पर प्रदेश में बिजली उत्पादन 40 फीसदी तक होता रहा है। देश की सबसे बड़ी भूमिगत 1,500 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना नाथपा झाकड़ी में 90 फीसदी तक बिजली उत्पादन गिरने से उत्तर भारत के नौ राज्यों में बिजली संकट गहराने के आसार बन गए हैं।

इस परियोजना की छह में से एक ही टरबाइन चल रही है। यह परियोजना सतलुज नदी पर बनी है और नदी में 70 क्यूमैक्स तक पानी का बहाव गिर गया है। इस परियोजना में ऐसे हालात करीब 17 वर्ष पूर्व बने थे। प्रदेश में अभी रोजाना 360 से 370 लाख यूनिट बिजली की आवश्यकता है। प्रदेश में बिजली उत्पादन 2,500 लाख यूनिट से गिरकर 450 लाख यूनिट तक पहुंच गया है। 450 लाख यूनिट में से निजी बिजली कंपनियां और भारत सरकार के उपक्रम काफी यूनिट बिजली को उत्तरी ग्रिड में बेच भी रहे हैं।

प्रदेश में अभी पंजाब से रोजाना 200 लाख यूनिट बिजली बैंकिंग के तौर पर ली जा रही है। इसके अलावा प्रदेश के अपने उत्पादन से बिजली सप्लाई लेकर काम चलाया जा रहा है। रोजाना 25 से 30 लाख यूनिट बिजली की खरीद भी ओपन मार्केट से करनी पड़ रही है। जल्द ही अगर बारिश और बर्फबारी नहीं हुई तो प्रदेश को बाजार से और अधिक बिजली की खरीद शुरू करनी पड़ेगी। उधर, सतलुज नदी में जितना पानी आ रहा है, उससे छह में से केवल एक टरबाइन ही काम कर पा रही है।इस तरह 360 लाख यूनिट रोजाना बिजली पैदा करने वाली परियोजना अभी 60 लाख यूनिट बिजली ही रोजाना तैयार कर रही है। यदि बारिश और बर्फबारी न होने का सिलसिला लंबा चला तो आने वाले समय में बिजली संकट की समस्या हो सकती है। इसका सबसे अधिक असर उत्तर भारत के नौ राज्यों हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में होगा।




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