छह सरकारें बदली, जनप्रतिनिधि नहीं बना पाए बिल्डिंग
बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
उपमंडल घुमारवीं में 33 साल से बाल विकास परियोजना अधिकारी का कार्यालय किराये के भवन में चल रहा है। इसे जन प्रतिनिधियों की नाकामी कहें या लापरवाही कि वे आज तक भवन तक उपलब्ध नहीं करवा पाए हैं।इस दौरान छह सरकारें बदल चुकी हैं, लेकिन किसी ने भी कार्यालय के लिए भवन उपलब्ध करवाना उचित नहीं समझा। यही कारण है कि करीब तीन दशकों से अधिक समय से कार्यालय का सारा काम मात्र 4 कमरों में निपटाया जा रहा है। इस कार्यालय के अधीन करीब 322 आंगनबाड़ी केंद्र आते हैं।
इनका सारा कामकाज इसी कार्यालय से चलता है। इसके अलावा बच्चों के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाले न्यूट्रिशन सप्लीमेंट को रखने के लिए गोदाम तक नहीं है। इस न्यूट्रिशन सप्लीमेंट को हर महीने कुछ एक आंगनबाड़ी केंद्र में रखवाया जाता है। जहां से इन 322 अलग-अलग जगहों पर स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित किया जाता है। कार्यालय के तहत इतनी बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी केंद्रों से हर माह गर्भवती और बच्चों को पोषाहार वितरण के लिए भी जमघट यही लगता है।
कार्यालय के पास अगर अपना भवन नहीं होगा तो धरातल पर आंगनबाड़ी केंद्रों की क्या हालत होगी यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।घुमारवीं में 1990 में बाल विकास परियोजना की शुरुआत हुई थी। उस वक्त सरकारी भवन न होने के कारण इसे किराये के कमरों में चला कर शुरू किया। इस कार्यालय के तहत 322 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, 322 सहायिका, 14 पर्यवेक्षक, और कार्यालय में सात कर्मचारी तैनात हैं। इतने बड़े स्तर पर चल रही इस परियोजना को केवल चार कमरों के एक छोटे से किराये के कार्यालय से चलाया जा रहा है।
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