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कांग्रेस सरकार बनने के एक साल के इंतजार के बाद जिला बिलासपुर को मिल ही गई सुक्खू मंत्रिमंडल में जगह

                                        16 साल बाद कांग्रेस सरकार में बिलासपुर को मिला मंत्री पद

बिलासपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

कांग्रेस सरकार बनने के एक साल के इंतजार के बाद जिला बिलासपुर को सुक्खू मंत्रिमंडल में जगह मिल ही गई। जिले से कांग्रेस के एकमात्र विधायक और सीएम सुक्खू के करीबी राजेश धर्माणी ने मंगलवार को मंत्री पद की शपथ ली। कांग्रेस सरकार में 16 साल बाद बिलासपुर को मंत्री पद मिला है। 2007 तक नयनादेवी से रामलाल ठाकुर बतौर वन मंत्री रहे। सरकार के एक साल के जश्न के कार्यक्रम के बाद सोमवार रात को ही तय हो गया था कि मंगलवार को धर्माणाी को मंत्रिमंडल में शामिल कर दिया जाएगा। सुबह से ही उनके घर पर समर्थकों की भीड़ बधाई देने के लिए जुट गई थी। धर्माणी के पास संगठन में भी काम करने का अच्छा खासा अनुभव है।

2012 में जीत हासिल करने के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार में धर्माणी को मुख्य संसदीय सचिव का पद दिया गया। वीरभद्र सिंह ने उन्हें वन विभाग के साथ अटैच किया था। वीरभद्र सिंह और राजेश धर्माणी के बीच हमेशा सियासी शीत युद्ध चलता रहा। दोनों नेताओं ने कभी एक-दूसरे के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया, लेकिन धर्माणी खुद को पद के साथ शक्तियां न दिए जाने पर अकसर नाराज रहे। धर्माणी ने नाराज होकर पहले 2 अक्तूबर 2013 को मुख्य संसदीय सचिव के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव में नुकसान न हो, इसके लिए उन्होंने 4 अक्तूबर 2014 को इस्तीफा वापस ले लिया था। 

10 मई 2014 को एक बार फिर सीपीएस का पद छोड़ दिया था। धर्माणी हमेशा अपने सिद्धांतों के पक्के रहे, उन्होंने सीपीएस रहते हुए भी सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया।2 अप्रैल 1972 को बिलासपुर के घुमारवीं में जन्मे राजेश धर्माणी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला चुवाड़ी से पूरी की। घुमारवीं से आगे की स्कूली पढ़ाई पूरी की। एनआईटी हमीरपुर से बीटेक सिविल की पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने एमबीए भी की। राजेश धर्माणी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव, यूथ कांग्रेस के महासचिव और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह संवेदना चैरिटेबल सोसायटी के फाउंडर मेंबर भी हैं। घुमारवीं सीट से राजेश धर्माणी ने 2007, 2012 में लगातार दो बार जीत हासिल की। इस बार 2022 में तीसरी बार जीत हासिल की है।

राजेश धर्माणी साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। इनके पिता रत्न लाल धर्माणी सेवानिवृत अध्यापक हैं। माता विमला देवी गृहिणी हैं। इसके अलावा इनकी पत्नी सोनिका धर्माणी संवेदना चैरिटेबल सोसायटी की उपाध्यक्ष हैं। यह संस्था गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए कार्य करती है।राजेश धर्माणी की एकमात्र बेटी मंदिशा धर्माणी अपने पिता पर नाज करती हैं। मंदिशा का कहना है कि राजनीति के इतने लंबे सफर में भी उनके पिता ने ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ा। पहले वह सिर्फ घुमारवीं की जनता के लिए काम कर रहे थे, लेकिन अब उनका दायरा बढ़कर प्रदेश स्तर का हो गया है। जिम्मेदारी बढ़ी है और उन्हें भरोसा है कि उनके पिता इसे बखूबी निभाएंगे। मंदिशा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। अब वह सिविल सर्विस में जाने के लिए तैयारी कर रही हैं।



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