पार्षदों का कहना था कि विभागीय तौर पर जानबूझ कर गलती की जा रही है
काँगड़ा,रिपोर्ट नेहा धीमान
जिला परिषद सभागार धर्मशाला में सोलर लाइट्स के आवंटन और जिला परिषद सदस्यों के फंड को अन्य पंचायतों में शिफ्ट करने पर जमकर हंगामा हुआ। पार्षदों का कहना था कि किसी एक पंचायत को सोलर लाइटों या अन्य कार्यों के लिए दिया जा रहा पैसा दूसरी पंचायतों में शिफ्ट किया जा रहा है। इस पर जिला परिषद कार्यालय की ओर से गलती होने के भी पार्षदों ने आरोप लगाए। इस पर जिला पंचायत अधिकारी नीलम कटोच ने कहा कि जिला परिषद के 54 पार्षद हैं और मेरे पास हजारों काम हैं।
पार्षदों का कहना था कि विभागीय तौर पर जानबूझ कर गलती की जा रही है। वहीं सदन के दौरान खैर के सूखे पेड़ों को काटने, बिजली के मीटर न लगने, स्कूल और डिस्पेंसरियों में स्टाफ न होने सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई। पार्षदों ने कहा कि उनकी ओर से सेल्फ में डाले गए कार्यों को संबंधित पंचायत प्रधान और सचिव गंभीरता से नहीं लेते हैं। न हीं उनके एस्टीमेट तैयार करवाए जाते हैं। कार्यों को पूरा करवाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं। ऐसे में कई ऐसे भी कार्य हैं जो पार्षदों ने अपनी पहली बैठक में गिनाए थे, जो आज दिन तक शुरू नहीं हो पाए हैं।पार्षदों की त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता जिला परिषद अध्यक्ष रमेश बराड़ ने की, जबकि बैठक में जिला परिषद के सीईओ एवं एडीसी कांगड़ा सौरभ जस्सल और जिला पंचायत अधिकारी नीलम कटोच सहित जिलेभर के 54 जिला परिषद सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
इस दौरान जिला परिषद सभागार की मरम्मत में साढ़े ग्यारह टन लोहा लगने के साथ साढ़े सात लाख की टाइलों पर पार्षदों ने सवाल उठाए और इसकी विजिलेंस जांच तक करवाने की मांग उठा दी। मरम्मत पर खर्च हुई राशि पर भी सवाल उठाते हुए जिला परिषद सदस्य राहुल पठानिया ने कहा कि उन्हें जो आरटीआई के माध्यम से जानकारी मिली है, उसके अनुसार मरम्मत पर 30 लाख से अधिक राशि खर्च की गई है। इसमें साढ़े 11 टन लोहे का इस्तेमाल किया गया है, जबकि सभागार की टाइलों पर ही साढ़े सात लाख रुपये खर्च करने की बात कही है। पार्षद जोगिंद्र सिंह पंकू ने कहा कि मरम्मत पर हुए खर्च के मामले में किसी पर भी आरोप न लगें, इसके लिए इसकी विजिलेंस जांच करवाई जानी चाहिए। इस पर एडीसी ने कहा कि पहले मीटिंग कर लेंगे, उसके बाद अगर जरूरी हुआ तो विजिलेंस जांच करवाएंगे।
बैठक के दौरान हिम ऊर्जा के बजाय सोलर लाइट के ओपन टेंडर लगाने का मसला भी उठाया गया। इस पर पार्षदों ने लंबे समय से आवेदन करने के बावजूद सोलर लाइट्स न लगने की बात कही। हिम ऊर्जा से आए प्रतिनिधि ने बताया कि 3,949 सोलर लाइट्स लग चुकी हैं, जबकि 384 लाइट्स को लगाने के स्थानों को ही चिह्नित नहीं किया जा सका है। इस पर भी पार्षदों ने एतराज जताते हुए कहा कि जब से वे पार्षद बने हैं, तब से आज तक सोलर लाइट का मुद्दा हल नहीं हो पाया है। इस दौरान हिम ऊर्जा के प्रतिनिधि ने कहा कि जो आवेदन आए हैं, उन्हें चिह्नित करने में दिक्कतें आ रही हैं। इस पर एडीसी सौरभ जस्सल ने कहा कि यह आपकी समस्या है। प्रक्रिया को दुरुस्त किया जाए। साथ ही जिला स्तर पर एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करें, जिससे सोलर लाइट खराब होने की स्थिति में शिकायत दर्ज करवाई जा सके।सदन के दौरान कई जिला परिषद सदस्यों ने सवाल उठाया कि उनकी ओर से पूछे गए सवालों को संबंधित अधिकारी बैठक से एक-दो दिन पहले जवाब देते हैं। ऐसे में कई बार इन जवाबों को पढ़ने का समय ही नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि जब उनके सवाल तीन माह पहले संबंधित विभागों को भेज दिए जाते हैं, तो उनके जवाब जिला परिषद सदस्यों की त्रैमासिक बैठक के एक-दो दिन पहले ही क्यों दिए जाते हैं।
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