गांवों को इको सेंसिटिव जोन बनाने पर भड़के लोग
काँगड़ा,रिपोर्ट नेहा धीमान
पौंग डैम भूमि किनारे बसे 51 गांवों को इको सेंसिटिव जोन बनाने पर क्षेत्रवासियों में भारी रोष है। गुपचुप तरीके से हुई इस प्रक्रिया पर लोगों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों व सरकारी विभागों के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी संदेह जताया है। क्षेत्रवासियों ने सरकार व जनप्रतिनिधियों से इस मामले में जल्द स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
क्षेत्रवासियों रामकुमार, सुशील, विवेक, अनिल, कमल, ज्ञानचंद, महिंद्र, पवन कुमार, संजय कुमार, मदन लाल, सुरेंद्र, रविंद्र, कर्मचंद, अंकुश, बलवीर, देसराज, अजय कुमार, राजकुमार, वीरेंद्र, मिंटू आदि ने कहा है कि पौंग डैम के लिए पहले ही कई गांवों ने अपनी भूमि देकर त्याग किया है। आज दिन तक पौंग विस्थापितों को उनका हक नहीं मिला है लेकिन अब सरकार एक बार फिर पुराने जख्मों को छेड़ने जा रही है। पौंग बांध भूमि के किनारे गांवों में हजारों लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं। ये भूमि लोगों की अपनी है और इस पर पौंग बांध या सरकार का अधिग्रहण नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना कोई सूचना दिए 51 गांवों को इको सेंसिटिव जोन बनाने का फैसला ले लिया। इस बाबत आमलोगों से कोई वार्तालाप या आपत्तियां लेने के बारे में नहीं सोचा गया। अगर इको सेंसिटिव जोन बनता है तो आमजन को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। पौंग बांध की अधिग्रहित भूमि पहले से ही काफी है, जिस पर सरकार कोई भी नई विकास योजना बना सकती है लेकिन आम लोगों के बसे गांवों को इसकी चपेट में लेना सरासर अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की बातों से क्षेत्रवासियों में रोष पनप रहा है और उन्हें अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। इतना बडा मसला होने पर भी सरकार, जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौन हैं। अगर सच में पौंग बांध किनारे बसे गांवों के साथ छेड़छाड़ की जाती है तो इसे सहन नहीं किया जाएगा। सरकार ने शीघ्र कोई कदम नहीं उठाया तो बडा आंदोलन का रास्ता आमलोग अपनाएंगे।
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