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उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने कहा कि प्रदेश के पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास से जुड़े मामले ने भी भले ही सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया है

 अदालत ने केंद्र सरकार सहित राजस्थान, हिमाचल सरकार, हाई पावर कमेटी और बीबीएमबी को नोटिस भी जारी कर जवाब तलब किया है

पालमपुर,रिपोर्ट प्रवीण शर्मा 

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं भारतीय राज्य पेंशनर संघ के  वारिष्ठ उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने कहा कि  प्रदेश के पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास से जुड़े मामले ने भी भले ही सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया है।  अदालत ने केंद्र सरकार सहित राजस्थान, हिमाचल सरकार, हाई पावर कमेटी और बीबीएमबी को नोटिस भी जारी कर जवाब तलब किया है।

लेकिन फिर भी इन विस्थापितों का दर्द कोई नही। समझ पाया है। घनश्याम शर्मा ने कहा कि प्रदेश की सरकारों, अधिकारियों व नेताओं की इच्छशक्ति ही कभी इन विस्थापितों को न्याय दिलवाने की नहीं रही   है। घमश्याम ने कहा कि  पौंग बांध विस्थापित अपने पुनर्वास के लिए पिछले पांच दशक से इंतजार कर रहे हैं।बहुत से लोग पुनर्वास की आस में संसार छोड़कर चले गए और अब उनके बच्चे इस लड़ाई को हिमाचल से राजस्थान तक एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट और एक विभाग से दूसरे विभाग में भटकते हुए हजारों रुपये और कई साल बरबाद कर चुके हैं। शर्मा ने कहा कि  सरकारों और विभागों का उदासीन रवैया होने के  कारण पुनर्वास योजना को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है। 

जिससे यह भी साफ है कि संविधान के अंतर्गत मौलिक अधिकार और संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। शर्मा ने कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी  इस मामले पर एक कमेटी का गठन कर रखा है, जिसने अपनी सिफारिशों पर पौंग विस्थापितों को बेहतर स्थानों पर बसाने को कहा है। लेकिन सरकारों ने इन विस्थापितों को  बॉर्डर एरिया पर जमीन दी थी, जहां पर न तो पानी की व्यवस्था थी और न ही वहां पर खेती  हो सकती है।ऐसे में वहां कुछ दबंगई भी इन लोगों को कब्जे करने नहीं देते हैं। शर्मा ने कहा कि यहां पौंग डैम विस्थापितों ने अपनी उपजाऊ जमीन इसके निर्माण के लिए दे रखी है, लेकिन राजस्थान की सरकार भी इन लोगों के साथ न्याय नहीं कर रही है। शर्मा ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने भाखड़ा बांध विस्थापितों के लिए  उन्हें निजी जमीन पर बसाने की जो  घोषणा की है, उसी तर्ज पर पौंग बांध विस्थापितों के लिए कोई उचित नीति बनाई जाए व प्रभावितों को न्याय प्रदान किया जाए।




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