शोध में दावा, लाहौल-स्पीति के गेफांग गाथ ग्लेशियर से बनी झील मचा सकती है तबाही
शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा
हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में गेफांग गाथ ग्लेशियर पर बर्फ पिघलने से बनी झील खतरा बन गई है। इस झील से सामरिक महत्व के मनाली-लेह मार्ग, सिस्सू हेलीपैड और आईटीबीपी कैंप को नुकसान पहुंच सकता है। यह चेतावनी अमेरिकन जर्नल एडवांसिंग अर्थ एंड स्पेस साइंस में छपे शोध पत्र में दी गई है। साथ ही इसके पानी को कृत्रिम तरीके से घटाने का समाधान भी सुझाया गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बंगलूरू के दिवेचा जलवायु परिवर्तन केंद्र के डॉ. अनिल कुलकर्णी शोध टीम के सदस्य रहे हैं, जो इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
सिक्किम की लोनाक झील के फटने से आई बाढ़ के बाद प्रदेश में ग्लेशियर से बनी यह झील अब चिंता का कारण है। कुछ ही किलोमीटर पीछे यहां विश्वविख्यात अटल टनल भी है। शोध पत्र में चेतावनी दी गई है कि पानी बढ़ने से झील के किनारे टूटने से अचानक बाढ़ आने का खतरा है। भविष्य में यह झील दोगुने से अधिक बढ़ सकती है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि झील का जल स्तर कृत्रिम रूप से कम किया जा सकता है। झील से पानी बाहर निकालने के लिए आउटलेट निर्माण, पंप या साइफन का इस्तेमाल, झील के नीचे सुरंग निर्माण कर नुकसान कम किया जा सकता है।शोध टीम के सदस्य रहे डाॅ. अनिल कुलकर्णी का कहना है कि लाहौल-स्पीति की गेफांग ग्लेशियर पर बनी झील आपदा का कारण बन सकती है। बचाव के लिए तुरंत एहतियाती कदम उठाना जरूरी है।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने बताया कि इस शोध का अध्ययन किया जाएगा और स्थानीय प्रशासन से इसकी पड़ताल करवाई जाएगी। उधर, उपायुक्त लाहौल-स्पीति राहुल कुमार ने कहा कि निदेशक आपदा प्रबंधन से इसकी जानकारी मिली है। प्राथमिकता के आधार पर जांच कर इसका हल निकालना जाएगा।गेफांग ग्लेशियर में बनी झील से चंद्रभागा नदी का जलस्तर बढ़ने का खतरा है। चंद्रभागा आगे चलकर चिनाब नाम से जानी जाती है, जो पाकिस्तान से होकर गुजरती है और वहां यह नदी सिंचाई का बड़ा स्रोत है। चिनाब में बाढ़ का असर पाकिस्तान तक होता है। इससे पहले चीन में पारच्छू झील में जलस्तर बढ़ने से 2005 में सतलुज नदी में बाढ़ आई थी, जिससे हिमाचल प्रदेश में भारी नुकसान हुआ था।
0 Comments