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कबायली क्षेत्र पांगी में तीन दिवसीय फूलयात्रा मेला रविवार को शुरू हुआ

                                 तीन दिन तक एक-दूसरे की सुख-स्मृद्धि के लिए कामना करेंगे ग्रामीण

चम्बा,रिपोर्ट राकेश कुमार 

कबायली क्षेत्र पांगी में तीन दिवसीय फूलयात्रा मेला रविवार को शुरू हुआ। यह मेला आपसी भाईचारे के साथ ग्रीष्म ऋतु के समापन और सर्दियों का आगमन का प्रतीक माना जाता है।घाटी में फसलों का काम पूरा होने और शरद ऋतु के आगमन पर सुख-समृद्धि की कामना के लिए हर वर्ष अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में फूल यात्रा मेले का आयोजन किया जाता है। 

करयास, सेरी फटवास, करेल गांव से लोग पारंपरिक परिधान में सज-धजकर वाद्य यंत्रों की धुनों के बीच कूफा गांव तक जाते हैं और वहां पूजा-पाठ करते हैं। रविवार को दैवीय गूरों ने कूफा में पूजा-पाठ किया। लोगों को सुख- समृद्धि का आशीर्वाद भी दिया। तीन दिन तक की इस यात्रा में लोग एक-दूसरे को सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। मेले में लोग सर्दियों से बचने के लिए गर्म वस्त्र खरीदते हैं। भारी बर्फबारी के बाद पांगी छह से सात माह तक देश-दुनिया से कटा रहता है। केवल हवाई यात्रा से ही पांगी तक पहुंचा जा सकता है।

फूल यात्रा के बारे में एक मान्यता यह भी है कि तीन दिन तक लोग गेहूं पिसवाने के लिए घराट में नहीं जाते हैं। यह अपशगुन माना जाता है। साच पास को भी आर-पार नहीं करते हैं। मेले में पहले नौ प्रजाएं लुज, सुराल, धरवास, करयास, कूफा, कवास, हुडान, किरयूनी और किलाड़ के कूफा गांव के फुलयतानु मैदान में इकट्ठा होती थीं। अब कूफा, कवास, किलाड़, करयास की प्रजाएं भाग लेती हैं। कहा जाता हैं पांगी में पहले आपसी मिलन का एकमात्र साधन मेले-त्योहार ही होते थे। पांगी के लोग फूलयात्रा मेले से पहले जमीदारी के साथ सर्दियों के खाने-पीने का सामान इकट्ठा कर लेते थे। यहां तक कि पशुओं का चारा भी इकट्ठा करना पड़ता था।





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