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जिला ऊना में प्राकृतिक खेती से हरोली के किसान विजय ने बढ़ाई फसलों की उत्पादकता

                      प्राकृतिक खेती को अपनाकर हरोली के विजय कुमार अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं

ऊना,रिपोर्ट अविनाश चौहान 

 कृषि में अच्छा उत्पादन अर्जित करने की इच्छा ने पिछले कुछ वर्षों से किसानों को महंगे रसायनों का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य किया है, लेकिन महंगे खरपतवारों और कीटनाशकों का अधिक मात्रा में प्रयोग करने से न केवल कृषि लागत बढ़ी। बल्कि इससे पर्यावरण और जमीन को भी भारी क्षति पहुंच रही है। इस समस्या से निजात पाने के लिए जिला के किसानों की ओर से प्राकृतिक खेती को अपनाया जा रहा है।

प्राकृतिक खेती को अपनाकर हरोली के विजय कुमार अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। सभी खर्चों को निकालकर विजय कुमार प्रतिमाह 20,000 रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। विजय कुमार मानते हैं कि रसायनों के भरोसे लंबे समय तक खेती करना संभव नहीं। विजय कुमार प्राकृतिक और जैविक खेती करके फसलों (बैंगन, खीरा, रामतौरी, करेला, हल्दी, लॉकी, नींबू, सेब, गलगल) की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाया। फसल उत्पादन को बढ़ाने के लिए वह जीवामृत और घनजीवामृत का प्रयोग कर अन्य किसानों में भी एक नई सोच विकसित कर रहे हैं। वैसे तो विजय कुमार वर्ष 2000 से खेती कर रहे हैं, लेकिन साल 2019 में उन्होंने प्राकृतिक खेती की ओर कदम बढ़ाएं। उन्होंने कृषि विभाग के माध्यम से आतमा परियोजना के तहत दो दिन की ट्रेनिंग ली।

विजय कुमार बताते हैं कि ट्रेनिंग के उपरांत सबसे पहले उन्होंने निजी भूमि के दो कनाल रकबे पर मक्की की फसल प्राकृतिक विधि से करना आरंभ किया। अच्छी पैदावार और कम लागत होने के कारण रसायन मुक्त खेती की बजाए काफी ज्यादा मुनाफा हुआ। मक्की की फसल के अच्छे परिणाम मिलने के चलते उन्होंने 55 कनाल भूमि पर गेहूं की फसल प्राकृतिक तकनीक से उगाई। गेहूं की फसल में देशी विधि से तैयार जीवामृत, घनजीवामृत और आग्नेयास्त्र जैसे घटकों का प्रयोग किया। वर्तमान में वह प्राकृतिक तकनीक से सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं। वह बैंगन, खीरा, रामतौरी, करेला, हल्दी, लॉकी, नींबू, सेब, गलगल आदि की खेती कर रहे हैं। खेती करने के लिए उन्होंने अपने पास तीन व्यक्तियों को स्थाई रोजगार भी उपलब्ध करवाया है।

सरकार से मिली आर्थिक मददविजय कुमार ने प्रदेश सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि राज्य सरकार और कृषि विभाग प्राकृतिक खेती के लिए काफी प्रोत्साहन दे रहे हैं। विभाग ने देशी गाय खरीदने के लिए 25,000 रुपये की सहायता मुहैया करवाई साथ ही जीवामृत को बनाने के लिए ड्रम उपलब्ध करवाने के लिए 75 प्रतिशत अनुदान दिया।जिले में 1401 हेक्टेयर भूमि पर किसानों की ओर से प्राकृतिक तकनीक से खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक तकनीक से खेती करने के लिए अब तक जिले में 16,137 किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका हैं। इसमें से 11,719 किसान प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपनी आजीविका कमा रहे। खंड हरोली में लगभग 2000 किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं।




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