कमला नेहरू अस्पताल में चिकित्सकों ने प्रीमेच्योर बच्ची को दिया नया जीवन
शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा
कमला नेहरू अस्पताल (केएनएच) में चिकित्सकों ने प्रीमेच्योर बच्ची को नया जीवन दिया है। छह महीने में ही जन्मी बच्ची का वजन सिर्फ 600 ग्राम था। फेफड़े भी पूरी तरह से बने नहीं थे। सांस मशीन के जरिये देनी पड़ी। ऐसे में चिकित्सकों ने उसे तुरंत आईसीयू में एडमिट कर दिया और अच्छी तरह देखभाल शुरू कर दी। जब उसके अंग बनने लगे तो ग्रोइंग नर्सरी में शिफ्ट कर दिया। इस तरह बच्ची पूरे 100 दिन तक अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में रही। अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है और वीरवार को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। बालरोग विशेषज्ञ चिकित्सकों का दावा है कि इस तरह से किसी बच्ची की पहली बार जान बचाई गई है। डॉक्टर इसे अब तक की अपनी बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं।
शिमला के चौपाल की रहने वाली उमा जुलाई में चेकअप के लिए केएनएच में आई थीं। इस बीच महिला को ब्लीडिंग होने लगी तो चिकित्सकों की टीम ने हालत को देखते हुए 15 जुलाई को तत्काल प्रसव करवाया। महिला ने छह महीने में 600 ग्राम वजनी बच्ची को जन्म दिया, लेकिन बच्ची के फेफड़े पूरी तरह नहीं बने थे। सांस भी मशीन के जरिये देनी पड़ी। बच्ची की हालत गंभीर देखकर बालरोग विभाग के चिकित्सकों ने उसे तुरंत आईसीयू लाया। यहां पर अपनी निगरानी में रखा। कुछ समय बाद जब बच्ची के शरीर के अंग बनने तो उसे ग्रोइंग नर्सरी में लाया गया। इसके बाद बच्ची की धीरे-धीरे न केवल सेहत में सुधार आया बल्कि वजन भी बढ़ गया। 100 दिन अस्पताल में रहने के बाद बच्ची का वजन 600 ग्राम से बढ़कर डेढ़ किलो हो गया। चिकित्सकों के मुताबिक वजन सामान्य बच्चों की तरह है।
आईजीएमसी के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि डॉ. पंचम कुमार केएनएच में यूनिट के इंचार्ज हैं। उन्हीं की देखरेख में डॉ. मंगला सूद, डॉ. अंबिका सूद, डॉ. अशोक समेत सीनियर और जूनियर रेजिडेंट के डॉक्टरों की टीम ने बच्ची के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा। क्योंकि अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है, इसलिए उसे घर भेज दिया है।
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