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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर एम्स के न्यूरो सर्जन ने आठ घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज की जान बचाई

           छह माह से बिस्तर पर, ऑपरेशन के दूसरे दिन वॉकर से चलने लगी मरीज, एम्स ने दी नई जिंदगी

बिलासपुर,रिपोर्ट दीनानाथ ठाकुर 

एम्स के न्यूरो सर्जन ने आठ घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज की जान बचा दी है। सरकाघाट की महिला मरीज डीजेनेरेटिव सर्वाइकल स्पोंडिलोटिक मायलोपैथी(सीएसएम) से ग्रसित थी।हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर एम्स के न्यूरो सर्जन ने आठ घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज की जान बचा दी है। सरकाघाट की महिला मरीज डीजेनेरेटिव सर्वाइकल स्पोंडिलोटिक मायलोपैथी(सीएसएम) से ग्रसित थी। इस कारण वह छह माह से बिस्तर से हिल भी नहीं पा रही थी।

 मरीज के पति उसे दिल्ली और चंडीगढ़ के नामी अस्पतालों के सर्जन को भी चेक कराया। उन्होंने बताया कि मरीज का स्वस्थ होना मुश्किल है। इसके चलते किसी ने उसका ऑपरेशन नहीं किया। इसके बाद मरीज को एम्स के न्यूरो सर्जन के पास लाया गया।यहां विशेषज्ञ ने कहा कि वो मरीज का इलाज करेंगे और ठीक भी करेंगे। न्यूरो सर्जरी विभाग के सर्जन डॉक्टर अर्जुन धर ने मरीज की सर्जरी करने का निर्णय लिया। सर्जरी करीब आठ घंटे तक चली। ऑपरेशन के बाद महिला ठीक हो गई। इतना ही नहीं छह माह से जहां महिला मरीज के शरीर के अंग काम नहीं कर रहे थे, वो ऑपरेशन के बाद दूसरे ही दिन वॉकर के सहारे चलने लगी। महिला के पति ने कहा कि उनकी पत्नी अब वॉकर के सहारे चल रही है। यह सब एम्स के सर्जन की मेहनत का ही नतीजा है।शरीर में पानी के मात्रा की कमी, शुगर, रक्तचाप, नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों, शरीर का भारी वजन होना, व्यायाम न करना इसके मुख्य कारण हैं। अहम बात यह है कि 30 वर्ष से ज्यादा की आयु के लोगों में यह बीमारी ज्यादा होती है। 

अगर नियमित व्यायाम, वजन सामान्य रखा जाए, नशीले पदार्थों का सेवन न करें तो इससे बचाव किया जा सकता है। इसके बाद भी अगर इस बीमारी से ग्रस्त होते हैं तो समय पर विशेषज्ञ की सलाह और इलाज लें।डीजेनेरेटिव सर्वाइकल मायलोपैथी ऑस्टियोफाइट्स गठन, लिगामेंटम फ्लेवम हाइपरट्रॉफी और उभरी हुई डिस्क होती है। इस कारण एकल या एकाधिक रीढ़ की हड्डी के स्तर की ऊंचाई में कमी होती है। इस बीमारी से गर्दन, कंधों और भुजाओं में तेज दर्द होता है। चीज को पकड़ने में कमजोरी, शरीर के कुछ अंगों में अकड़न, हाथों में सुन्नता, झुनझुनी और चलने में समस्या होती है। यदि यह बढ़ती जाए तो क्वाड्रिपैरेसिस और क्वाड्रीप्लेजिया में बदल सकती है।डीजेनेरेटिव सर्वाइकल मायलोपैथी (डीसीएम) गंभीर बीमारी है। इसे क्वाड्रिपेरेसिस की स्थिति में सर्वाइकल स्पॉन्डलाटिक मायलोपैथी (सीएसएम) भी कहा जाता है। यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्या है। यह ऑपरेशन चमत्कार से कम नहीं हैं। मरीज ने वॉकर के सहारे चलना शुरू कर दिया है और जल्द ही वे पूरी तरह से स्वस्थ होंगी।





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