यह प्रसन्नता का विषय है कि सदियों से चली आ रही परंपराओं को लोगों ने आज भी कायम रखा है
शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने मंगलवार सायं सोलन जिले के अर्की उपमंडल में आयोजित राज्य स्तरीय सायर मेले के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मेले और त्यौहारों के माध्यम से न केवल हमारी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा मिलता है बल्कि उनका संरक्षण भी सुनिश्चित होता है। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि सदियों से चली आ रही परंपराओं को लोगों ने आज भी कायम रखा है।
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से राज्य को भारी नुकसान होने के बावजूद प्रदेश तीव्र गति इस स्थिति से उबर रहा है और अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश का हर व्यक्ति इस आपदा में सहयोग देने के लिए आगे आ रहा है। उन्होंने कहा प्रदेश के लोग बुलंद हौंसले के साथ राज्य के पुनर्निर्माण अपनी सहभागिता सुुनिश्चित कर रहे हैं।
उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सायर मेला लोगों की आस्था से जुड़ा है जो हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास हमारी समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करने का होना चाहिए और युवा पीढ़ी को भी संस्कृति से जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को हमारी सभ्यता और संस्कृति का न केवल ज्ञान बल्कि उस पर गर्व भी होना चाहिए, तभी देश आगे बढ़ेगा और दुनिया में अपनी पहचान बनायेगा। मेले न केवल सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों के केंद्र होते हैं, बल्कि इनके माध्यम से राज्य की लोक संस्कृति, कला और शिल्प को जानने और समझने का अवसर भी मिलता है।
राज्यपाल ने तीन दिवसीय सायर मेले के सफल आयोजन के लिए आयोजन समिति को बधाई दी। उन्होंने युवा पीढ़ी में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ग्रामीण स्तर पर युवाओं को नशे के प्रवृत्ति से निजात दिलाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।उन्होंने सायर मेले के दौरान आयोजित विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किये। उन्होंने सायर मेला आयोजन समिति द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी किया।
इससे पहले, मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी ने राज्यपाल और लेडी गवर्नर एवं राज्य रेडक्रॉस अस्पताल कल्याण अनुभाग की अध्यक्षा जानकी शुक्ल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सायर मेले का इतिहास लगभग 380 वर्ष पुराना है और यह लोगों की श्रद्धा का केन्द्र है। उन्होंने कहा कि इन उत्सवों के आयोजन से स्थानीय परम्पराओं एवं समृद्ध संस्कृति का संरक्षण होता है। उन्होंने कहा कि त्यौहारों के माध्यम से लोगों के बीच मेल-मिलाप और आपसी भाईचारा बढ़ता है तथा नई ऊर्जा का संचार होता है।
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