केंद्र ने पहली बार ऊना में ड्रैगन फ्रूट के लगाए 3300 पौधे, किसानों की आर्थिकी होगी सुदृढ़
ऊना,रिपोर्ट अविनाश चौहान
हिमाचल प्रदेश में किसानों के बीच ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर बढ़ते रुझान के बीच अब केंद्र सरकार ने भी दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार ने बंगाणा के कठोह गांव में ड्रैगन फ्रूट के 3300 पौधे लगाए हैं। गांव के सात किसानों को ड्रैगन फ्रूट के पौधे निशुल्क दिए गए हैं।
हालांकि ड्रैगन फ्रूट के लिहाज से जमीन को तैयार करने में किसानों को कुछ खर्च अपने स्तर पर भी करना पड़ा। लेकिन फसल से जुड़ा सारा खर्च केंद्र सरकार की ओर से किया गया है। केंद्र सरकार की एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत अब ड्रैगन फ्रूट की खेती को भी लिया गया है। इसके तहत बंगाणा के कठोह में एक हेक्टेयर जमीन पर करीब 19 लाख रुपये खर्च कर 3300 पौधे लगाए हैं।इसके साथ किसानों को पौधों की देखभाल और उनकी उचित वृद्धि को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है। यह पौधे शुरुआती चरण में हैं। इनका बीते अगस्त माह में रोपण किया गया। इसमें किसानों को केवल अपनी जमीन में सिंचाई व अन्य छोटी-मोटी व्यवस्थाओं के लिए खर्च करना पड़ा। बागवानी विशेषज्ञों की मानें तो ऊना जिला की जलवायु ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए बेहद अनुकूल है। इस पौधे को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होगी। एक तय अंतराल के बाद सिंचाई करनी होती है। इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट की खेती कम गुणवत्ता वाली मिट्टी में कामयाब है। इस पौधे को अधिक पानी और खाद की आवश्यकता नहीं होगा। यही कारण है कि इसे कम सिंचाई व्यवस्था वाले क्षेत्रों में भी तैयार किया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए बेहद लाभकारी है। इस कारण बाजार में इसकी अच्छी मांग है और उपलब्धता कम। यह फल 250 से 300 रुपये प्रति किलो कीमत पर बिकता है। ड्रेगन फ्रूट में विटामिन सी, आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। इसमें डायटरी फाइबर होता है, जो पाचन में मदद करता है। इस फल को वजन घटाने में काफी लाभकारी माना जाता है। मधुमेह के मरीज भी इस फल का सेवन करते हैं। यह हृदय की सेहत को भी बनाए रखता है। यह त्वचा को स्वस्थ रखता है और जल्दी बुढ़ापे के लक्षणों को दिखने से रोकता है। इस फल से एनीमिया को दूर करने में मदद करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
कठोह गांव में ड्रैगन फ्रूट के पौधे तैयार कर रहे किसान रोशन लाल, मदन लाल, देसराज, दीप कुमार ने बताया कि पहले वे मक्की और गेहूं की पारंपरिक खेती करते थे। कई बार फसलों को जानवर खराब कर देते और कई बार समय फसल को उम्मीद मुताबिक दाम नहीं मिलते। उन्हें उम्मीद है कि ड्रैगन फ्रूट उनकी आर्थिकी सुधारेगा। जिले में ड्रैगन फ्रूट के 25 हजार पौधे लगाए गए हैं। इनमें से अधिकतर बागवानों ने अपने स्तर पर पौधे लगाए हैं। बीते साल ऊना ने 45 किसान ड्रैगन फ्रूट के खेती करते थे। इस साल संख्या बढ़कर 65 हो चुकी है। यानि 2023 में 20 नए किसान इस पेशे में उतरे हैं। ऊना जिला ड्रैगन फ्रूट उगाने के लिए एक शानदार जगह है। इससे बागवानों को अच्छे नतीजे मिले और अच्छा लाभ भी कमाया है।
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