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हिमाचल का लहसुन फिर चमका,ना पहुंचते ही 180 रुपये किलो बिक रहा लाहौल का मटर

                          पिछले लंबे समय से हिमाचल के लहसुन के दाम 130 से 140 रुपये तक स्थिर थे

नाहन,ब्यूरो रिपोर्ट 

पिछले लंबे समय से हिमाचल के लहसुन के दाम 130 से 140 रुपये तक स्थिर थे। बाजार में स्थिरता के चलते कई किसानों ने लहसुन का भंडारण शुरू कर दिया। अभी भी जिले में करोड़ों का लहसुन गोदामों में पड़ा है। दक्षिण भारत की मंडियों में हिमाचली लहसुन की मांग फिर बढ़ने लगी है।दामों में भी 15 से 20 रुपये उछाल आ गया है। बताया जा रहा है कि इससे पहले अफगानिस्तान और इरान का लहसुन भारत की मंडियों में पहुंच रहा था, जो हिमाचली फसल को भी टक्कर दे रहा था। अब इसकी आमद घटते ही सूबे के लहसुन की मांग बढ़ गई है। 

ऐसे में फसल के दाम बढ़कर 150 से 160 रुपये प्रति किलो मिलने लगे हैं। पिछले लंबे समय से हिमाचल के लहसुन के दाम 130 से 140 रुपये तक स्थिर थे। बाजार में स्थिरता के चलते कई किसानों ने लहसुन का भंडारण शुरू कर दिया। अभी भी जिले में करोड़ों का लहसुन गोदामों में पड़ा है।जिले के ट्रांसगिरि इलाके के नौहराधार, संगड़ाह, हरिपुरधार, शिलाई, सैनधार और धारटीधार के कुछ इलाकों में 20 से 25 टन लहसुन गोदामों में है। इस माह नई फसल की बिजाई का कार्य भी शुरू हो जाएगा। इस बार किसानों के लिए लहसुन का कारोबार फायदे का सौदा रहा। पिछले साल के मुकाबले इस बार अच्छे दाम मिले हैं। बीते साल लहसुन के अधिकतम दाम 70 से 80 रुपये तक स्थिर बने रहे। इस बार शुरूआती दौर में ही हिमाचल का लहसुन मंडियों में खूब चमका। इसके बाद थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव जरूर रहा, लेकिन ए ग्रेड का लहसुन 110 रुपये से कम नहीं आया। नौहराधार के आढ़ती रविंद्र चौहान ने बताया कि हफ्तेभर से सिरमौर के लहसुन की मांग दक्षिण भारत की मंडियों में काफी बढ़ गई है। इस समय 150 से 160 रुपये दाम मिल रहे हैं।लाहौल के खेतों में 60 रुपये और किन्नौर में 80 से 100 रुपये किलो बिकने वाले मटर के दाम मैदानी इलाकों में पहुंचते ही आसमान छू रहे हैं। ऊना पहुंचते ही मटर 180 रुपये किलो बिक रहा है। मंडियों में थोक भाव 150 रुपये प्रतिकिलो तो दुकानों पर हरा मटर 180 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है। इस समय लाहौल-स्पीति के काजा क्षेत्र से हरा मटर उत्तर भारत की विभिन्न मंडियों तक पहुंच रहा है। परिवहन खर्च में वृद्धि के कारण इसके अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। हालांकि दिसंबर में पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से हरे मटर की सप्लाई शुरू होने से इसके भाव में कमी की उम्मीद है। प्रदेश के साथ पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से ही हरे मटर की सप्लाई होती है। इस बार पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम की मार के कारण उत्पादन कम रहा। मंडियों में सब्जी की कम आमद का सीधा असर कीमतों पर हो रहा है। खासकर हरा मटर 180 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया।

 मटर की कीमत में आया भारी उछाल रसोई का बजट बिगाड़ रही है। ढाबों और आयोजनों के लिए भी फ्रोजन मटर की खरीद की जा रही है।हिमाचल के शीत मरुस्थल लाहौल-स्पीति से हरा मटर सीधा पंजाब की मंडियों में पहुंचता है। इसके बाद वहां से व्यापारी मटर की सप्लाई ऊना और अन्य हिस्सों में करते हैं। लाहौल-स्पीति से मटर लाकर पंजाब पहुंचने में एक गाड़ी का किराया करीब 18,000 रुपये आता है। एक गाड़ी में 35 से 40 क्विंटल सब्जी लोड होती है। मैदानी क्षेत्रों में मटर पहुंचने में काफी खर्च आ रहा और इसका असर मटर के भाव पर पड़ा।लाहौल की चंद्रा घाटी में हरा मटर निकल रहा है। शुक्रवार को खेतों में ही 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिका है। लाहौल में व्यापारी किसानों से खेतों में ही मटर की खरीद करते हैं। उधर, किन्नौर की बात करें तो वहां किसानों को खेतों में ही हरे मटर के 80 से 100 रुपये प्रतिकिलो तक दाम मिल रहे हैं।

दिसंबर माह में मंडियों तक पहुंचने वाले मटर का अधिकांश हिस्सा पंजाब के किसान तैयार करते हैं। इस बार उत्पादन कम होने से मटर के दाम भी अधिक नहीं गिरेंगे।बरसात के चलते दिसंबर महीने तक हरा मटर महंगा मिलता है। पंजाब से सप्लाई आते ही इसके दाम गिर जाते हैं। हालांकि, इस साल पंजाब में बाढ़ से कृषि प्रभावित हुई है। ऐसे में बीते साल के मुकाबले दिसंबर में भी हरे मटर के दाम ज्यादा रह सकते हैं।





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