प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में स्वीकृत इस योजना का लक्ष्य राज्य में वन क्षेत्र का विस्तार करना है
शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा
पर्यावरण संरक्षण और हरित आवरण बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के गतिशील नेतृत्व में राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना’ शुरू की है। प्रदेश मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में स्वीकृत इस योजना का लक्ष्य राज्य में वन क्षेत्र का विस्तार करना है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र और सामाजिक-आर्थिक जनजीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
इस महत्त्वाकांक्षी योजना के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने नैसर्गिक सौंदर्य और जैव विविधता के लिए जाना जाता है। इस योजना के तहत राज्य की बंजर पहाड़ियों में वृक्षारोपण द्वारा भू-क्षरण जैसी समस्या से कुशलतापूर्वक निपटा जा सकता है।राष्ट्रीय वन नीति-1988 के अनुसार पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों को अपने भौगोलिक क्षेत्र का दो-तिहाई हिस्सा वन और वृक्ष आवरण के अंतर्गत बनाए रखना आवश्यक है। मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना के तहत इस वर्ष राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में लगभग 257 हेक्टेयर बंजर पहाड़ियों पर पर्यावरण-अनुकूल प्रजातियों के रोपण की योजना बनाई है। इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने वनीकरण के लिए चयनित क्षेत्रों में नई पौध की देखभाल हेतु सात वर्षों की अवधि के लिए स्थानीय लोगों की सेवाएं लेने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के उचित कार्यान्वयन, देखरेख और निगरानी के लिए वन विभाग एक समर्पित टास्कफोर्स की स्थापना की जाएगी।
अभियान के तहत रोपित पौधों की देखभाल केे महत्व पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि टास्कफोर्स वृक्षारोपण सीजन के दौरान हर पखवाड़े में कम से कम एक बार बैठक करेगी ताकि प्रगति की समीक्षा की जा सके और वनीकरण कार्यों का समय पर निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय इकाइयों के साथ समन्वय किया जा सके।इसके अलावा सरकार पर्यावरण संरक्षण के प्रयास में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गैर-सरकारी एजेंसियों, व्यक्तियों, स्वयं सहायता समूहों और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को वृक्षारोपण स्थलों को अपनाने व उनकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
मुख्यमंत्री वन विस्तार योजना से न केवल वन क्षेत्र बढ़ने की उम्मीद है बल्कि यह पहाड़ी चोटियों पर जंगली खरपतवार को खत्म करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह पहल राज्य के लोगों के लिए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा करेगी, जिससे सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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