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देश के बड़े शहरों में कुल्लू के रॉयल किस्म के सेब का खासा इंतजार

               मौसम खुला, सेब खिला, अब दस्तक देगा कुल्लू का रॉयल; मुंबई और चंडीगढ़ पहुंचेगा

कुल्लू,रिपोर्ट ओमप्रकाश ठाकुर 

देश के बड़े शहरों में कुल्लू के रॉयल किस्म के सेब का खासा इंतजार है। मगर लोगों को बाजार में ए ग्रेड का सेब नहीं मिल रहा है। अब चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई व बंगलूरू समेत कई शहरों के लोगों को लंबा इंतजार नहीं करना होगा। सितंबर माह के पहले हफ्ते कुल्लू का रॉयल किस्म का सेब मिलना शुरू हो जाएगा। इस बार सूबे में आई आपदा के कारण अच्छी क्वालिटी का रॉयल सेब देरी से मंडियों में पहुंच रहा है।

कुल्लू-मनाली को जोड़ने वाले फोरलेन सहित कुल्लू जिला की मुख्य सड़कों सहित संपर्क मार्ग अवरुद्ध होने से बागवानों ने सेब का तुड़ान रोक दिया। यही कारण है कि देश के बड़े शहरों में रॉयल किस्म का सेब देरी से चखने को मिलेगा। हालांकि तीन दिनों से मौसम खुला है और किसान-बागवानों ने बड़ी राहत ली है। ऐसे में अब तुड़ान भी तेज हो गया है। मगर कुल्लू से बाहर सेब को भेजना अभी बागवानों व व्यापारियों के लिए चुनौती बना है।

कुल्लू से मंडी तक फोरलेन बंद है और जिला से बाहर सेब व अन्य सब्जियों को कुल्लू-मंडी वाया पंडोह वैकल्पिक मार्ग से भेजा जा रहा है। बागवान लीला प्रसाद, तेज राम, रमेश कुमार, टेक सिंह ने कहा कि निचले इलाकों में अर्ली वैरायटी के सेब का सीजन अब खत्म हो गया है। मगर रॉयल का तुड़ान शुरू हो गया है।सितंबर से मध्य व ऊपरी इलाकों का सेब भी प्रदेश के बाहर जाना आरंभ होगा। कुल्लू फल उत्पादक मंडल के अध्यक्ष महेंद्र उपाध्याय ने कहा कि मौसम खुल गया है और अब रॉयल सेब में रंग आने की संभावना है। एपीएमसी कुल्लू के सचिव शगुन सूद ने कहा कि सितंबर से सेब का सीजन गति पकड़ेगा और बड़े शहरों में भी सेब पहुंचेगा।जिला कुल्लू में 80 प्रतिशत सेब रॉयल किस्म का पैदा रोता है। यह सेब विदेशी प्रजाति के मुकाबले अधिक टिकाऊ और इसे लंबे समय तक स्टोर रखा जा सकता है। रॉयल सेब इम्युनिटी को बढ़ाता है। इसमें बायोएक्टिव कंपाउंड भी होते हैं, जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।





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