आईसीएआर के सहयोग से होगा काम
पालमपुर,रिपोर्ट प्रवीण शर्मा
चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के जिला कुल्लू स्थित कृषि विज्ञान केंद्र फार्म बजौरा को फिर से संवारने का काम चल रहा है। बाढ़ से प्रभावित बजौरा कृषि विज्ञान केंद्र फार्म को देखने के बाद कुलपति प्रो. एच.के. चौधरी ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि बीते दिनों प्राकृतिक आपदा से कृषि विज्ञान केंद्र के प्रदर्शन व अनुसंधान फार्म को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है। यहां पर चार से छह फीट गाद और मलबा भर गया है और सारे खेत और सब्जी की फसल के साथ सेब, अनार, बेर, खुरमानी जैसे फलदार पौधों को भी क्षति पहुंची है ।
कुलपति ने वैज्ञानिकों को रुके हुए पानी को निकालने और फलदार पौधों को बचाने के लिए उचित निकासी मार्ग बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इस आपदा से एक चुनौती के रूप में निपटा जाए और बाढ़ प्रभावित खेतों के उद्धार के लिए प्रयोगों की योजना बनाई जाए। वैज्ञानिकों को बागवानी फसलों को बचाने और इन फसलों पर बाढ़ के प्रभाव का अध्ययन करने की आवश्यकता है। उन्होंने सलाह दी कि साइट की जांच के बाद प्रयोगों को अंजाम देने के लिए पुनर्ग्रहण तकनीक लागू की जानी चाहिए।
प्रोफेसर चौधरी ने बताया कि उन्होंने पहले ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और लुधियाना स्थित कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (एटीएआरआई) के निदेशक डा. परविंदर शियोेराण के साथ इस मामले पर चर्चा की है और उन्हें आश्वासन मिला है कि केवीके को फिर से संवारने के लिए हर संभव सहायता दी जाएगी। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय अपने तकनीकी इनपुट के लिए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर के विशेषज्ञों को भी आमंत्रित करेगा।कुलपति ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों को कृषक समुदाय की बेहतरी के लिए केवीके के साथ सभी संसाधन साझा करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय केवीके और बजौरा में अनुसंधान स्टेशन के महत्व और विशिष्टता को आगंतुकों के सामने उजागर किया जाए।
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