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कैसे मंडियों में पहुंचेंगी सेब की लाखों पेटियां

                                                       जन-जीवन पटरी पर लाना चुनौती

कुल्लू,रिपोर्ट ओमप्रकाश ठाकुर 

हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में सितंबर माह तक सेब का 50 फीसदी तक सीजन खत्म हो जाता था। लेकिन इस बार आपदा ने सेब को बगीचों में रोक दिया है। अभी तक सेब की मात्र 4.38 लाख पेटियां ही जिले से बाहर जा सकी हैं। लाखों पेटियां को बाहर भेजा जाना है। संपर्क मार्गों के साथ हाईवे और फोरलेन की खस्ताहालत ने बागवानों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में सेब बगीचों में फंसा है और बागवानों ने तुड़ान रोक दिया है। जिला की रघुपुर घाटी में सेब की 500 पेटियां खराब हो गई हैं।

सेब को मंडियों तक भेजने की चिंता बाह्य सराज के आनी-निरमंड से लेकर मनाली तक है। वहीं जनजातीय जिला लाहौल में लाखों की सब्जियां खेतों में तैयार हैं, लेकिन भूस्खलन से कुल्लू-मनाली हाईवे करीब दो सप्ताह से बंद है तो वहीं वैकल्पिक मार्ग बार-बार बंद हो रहे हैं। ऐसे में सेब से भरी गाड़ियां तीन से चार दिनों तक फंस रही हैं। यही कारण है कि बागवान सेब तुड़ान करने का कोई खतरा नहीं उठाना चाहते। बागवान नकुल खुल्लर, प्रेम लाल, रमेश चंद, तेज राम तथा लीला प्रसाद कहते हैं कि एक तो सेब की फसल कम है और रंग व आकार भी नहीं बन पाया।अब आपदा उनके लिए चुनौती बन गई है। बगीचे में सेब पककर तैयार हो गया और सड़कों की हालत ठीक नहीं है। कुल्लू फल उत्पादक मंडल के अध्यक्ष महेंद्र उपाध्याय ने कहा कि सेब को जिला से बाहर भेजने के लिए जीपों की कमी हो रही है। जबकि ट्रकों के लिए कुल्लू-मंडी का रास्ता ठीक नहीं है। कहा कि जब तक फोरलेन दुरुस्त नहीं हो जाता, ट्रकों में सेब नहीं जा पाएगा। सेब सीजन पीक पर होने से सेब ढुलाई के लिए रोजाना 500 से 600 जीपों की आवश्यकता है।जून माह में बागवानी विभाग ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में जिला कुल्लू में करीब 70 लाख सेब पेटियों के उत्पादन का लक्ष्य रखा था। बागवानी कुल्लू के उपनिदेशक बीएम चौहान ने कहा कि आपदा के बाद जिला में कितना उत्पादन होना है, इसकी फाइनल रिपोर्ट तैयार की जा रही है।एनएचएआई के रेजिडेंट इंजीनियर अशोक चौहान ने बताया कि कुल्लू-मंडी फोरलेन को खुलने में अभी समय लगेगा। पंडोह में काफी नुकसान हुआ है, बावजूद एनएचएआई का काम युद्धस्तर पर जारी है।

कुल्लू जिले में जन-जीवन पटरी पर लाना चुनौतीहिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में 9 और 10 जुलाई को हुई भारी बारिश से ब्यास और पिन पार्वती नदी में आई बाढ़ ने जिलावासियों को कभी न भूलने वाले जख्म दिए हैं। ब्यास में मनाली के बाहंग, आलू ग्राउंड से लेकर रायसन तक भारी नुकसान हुआ है। बाढ़ ने चार से पांच जगह 200 से 600 मीटर तक हाईवे का नामोनिशान मिटा दिया है। एनएचएआई को फिर सड़क बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

इसके अलावा नदी ग्रीन टैक्स बैरियर के अलावा कई मकानों, होटलों और दुकानों का बहाकर लेकर गई। वहीं, पारला भुंतर में पेट्रोल पंप, दस से अधिक मकान और होटल भी ब्यास की चपेट में आने से बह गए। सैंज में पिन पार्वती नदी के रौद्र रूप से सैंज का आधा बाजार की 30 दुकानें और 40 रिहायशी मकानों का नामोनिशान मिट गया। आपदा से मची तबाही के बाद अब लोग केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।





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