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दुधारू और घरेलु पशओं की बीमारियों से जागरूकता आवश्यक

                                                 पशुओं से अपनापन भी भारी पड़ सकता है मनुष्यों को

पालमपुर,रिपोर्ट नेहा धीमान 

वन्य और पालतु प्राणियों को देखकर मानव का प्यार झलकता हैं। उनकी आदतें और उनके योगदान को मानव प्रमुखता से आत्मसात करता है। घरेलू जानवरों को तो मानव अपने साथ बिस्तर पर भी स्थान देता है। मगर यह घरेलू जानवर मानव को जाने-अनजाने में कितने ही रोगों का उपहार दे जाता है उसे मालूम ही नहीं हो पाता।

चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के डाक्टर जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवम पशु विज्ञान महाविद्यालय के पशु जनस्वास्थ्य एवं जानपदिक विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने शोध सर्वे करते हुए ऐसी बीमारियों को जाना है जो पशुओं से मनुष्यों में न केवल प्रवेश कर उन्हें संक्रमित कर सकती हैं बल्कि जानलेवा भी बन जाती है।

तपेदिक, रेबीज, ब्रुसेलोसिस, स्क्रब टाइफस,लिपटो सेरा, टोक्सो प्लाजमा, डिपथेरिया, टोक्सो कैराकैनी जैसी कुछ ऐसी बीमारियां है जो पशुओं से मनुष्यों में भी पाई जाती है। इन बीमारियों से संक्रमित होने पर मनुष्य अपने साथ दूसरों को भी इसकी चपेट में ले लेता है। इनसे बचने के लिए मनुष्यों को जहां पर्याप्त सावधानी बरतते हुए खान-पान में भी विशेष ध्यान रखना पड़ेगा।

दुधारू पशुओं से होने वाली बीमारियों में तपेदिक प्रमुख है। यह बीमारी पीड़ित पशुओं के दूध,त्वचा और संपर्क में आने से होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक होती हैं क्योंकि पशुओं के साथ मनुष्य अधिक संपर्क में रहते हुए उनके साथ ही रहता है। ऐसी ही बीमारी रैबीज है जो पालतु कुत्तों व बिल्लियों से संक्रमित होती हैं। यह इतनी घातक है कि मनुष्य के लिए जानलेवा भी हो जाती है।

टोक्सो कैराकैनी, टोक्सोप्लाज्मा, डिपथेरिया भी कुत्ते-बिल्लियों से होने वाली अन्य बीमारियां हैं। इसमें संक्रमित पशुओं से विषाणुओं के छोटे-छोटे अंडे पैरों और बालों के माध्यम से पहुंच कर मनुष्य को बीमार करते हैं।

दुधारू पशुओं में ब्रुसेलोसिस रोग भी मनुष्यों को संक्रमित करता है। पीड़ित पशुओं को छूने से  और संपर्क में आने से यह मनुष्यों में होता है। इसके अतिरिक्त दूधारू पशुओं और अन्य जानवरों को जब दवाओं को दिया जाता है तो उसके बाद भी उनके उत्पादों को त्वरित प्रयोग में नहीं लाया जाना चाहिए। इन दवाईयों के कारण मनुष्यों पर भी उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। लिहाजा इन दवाईयों के प्रयोग के बाद दूध, मांस और अंडे आदि को 48 घंटे से लेकर 28 दिन तक प्रयोग नहीं करने की सलाह पशु चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञ देते है।

पशु चिकित्सा एवम पशु विज्ञान महाविद्यालय के पशु जनस्वास्थ्य एवम जानपदिक विज्ञान विभाग द्वारा करवाई गई एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में भी ऐसे अनेक खुलासे विशेषज्ञों ने किए है जिनमें पालतु व घरेलु पशुओं के संपर्क में आने से ही नहीं बल्कि आपके आस-पास घूमने वाले जानवरों से भी मनुष्य संक्रमित हो सकते है। ऐसी स्थिति में इन पशुओं से दूरी रखते हुए मनुष्यों को अपना बचाव करना चाहिए। विशेषज्ञों से समय-समय पर अपने घरेलु जानवरों और दुधारू पशुओं का निरीक्षण करवाते हुए उनका टीकाकरण करवाया जाना नितांत आवश्यक हैं।

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