Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

फसल बीमा योजना को लेकर किसानों को करें जागरूक

                                धान मक्की के लिए 15 जुलाई, टमाटर के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई  

 धर्मशाला,रिपोर्ट मोनिका शर्मा 

उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने कहा कि कांगड़ा जिला में ज्यादा से ज्यादा किसानों को फसल बीमा योजना में शामिल करवाएं ताकि प्रतिकूल मौसम, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान फसलों के क्षतिग्रस्त होने पर किसानों को मुआवजे के रूप में वित्तीय मदद मिल सके। बुधवार को उपायुक्त कार्यालय में डीसी डा निपुण जिंदल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के संदर्भ में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कृषि विभाग तथा संबंधित बीमा कंपनियों के प्रधिनिधियों को फसल बीमा योजना की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए जागरूकता शिविरों का आयोजन करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसान स्वेच्छा के साथ फसल बीमा योजना के साथ जुड़कर लाभ उठा सकें।

मक्की तथा धान की फसल का बीमा के लिए 15 जुलाई 2023 तथा टमाटर की फसल का बीमा 31 जुलाई 2023 तक करवा सकते हैं। धान तथा मक्की की फसल के लिए बीमा राशि 60 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर जो कि 2400 रूपये प्रति कनाल बनती है। इसमें किसानों को केवल दो प्रतिशत के हिसाब से प्रीमियम देना पड़ेगा, प्रति कनाल के हिसाब से 48 रूपये बीमा का प्रीमियम निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त देय प्रीमियम केंद्र तथा राज्य सरकार की ओर से भरा जाएगा। पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत टमाटर की फसल के लिए बीमित राशि दो लाख रूपये प्रति हेक्टेयर जो कि अस्सी हजार रूपये प्रति कनाल बनती है इसमें किसानों द्वारा प्रीमियम की राशि पांच प्रतिशत की दर से 400 रूपये प्रतिकनाल देय होगी। टमाटर की फसल के लिए जिला कांगड़ा में केवल भेडू महादेव, नगरोटा बगबां, रैत, भवारना, बैजनाथ विकास खंडों को अधिसूचित किया गया है।

किसानों के लिए वित्तीय नुक्सान का जोखिम होगा कम

भारी बारिश, सूखा, तूफान, प्राकृतिक आपदाओं तथा मौसम के खराब होने के कारण कई बार फसलें क्षतिग्रस्त हो जाती है तथा उसका नुक्सान किसानों को झेलना पड़ता है किसानों को वित्तीय नुक्सान से बचाने के लिए फसल बीमा योजना आरंभ की गई है। बीमा योजना के माध्यम से किसानों की वित्तीय मदद का प्रावधान किया गया है। बीमा फसल योजना के तहत किसानों को कम प्रीमियम देना पड़ता है तथा इसके अतिरिक्त राज्य तथा केंद्र सरकार की ओर से प्रीमियम का कुछ हिस्सा वहन किया जाता है।

फसल बीमा योजना में दावे तथा मुआवजे की प्रक्रिया को पारदर्शी तथा सरल बनाने के लिए डिजी क्लेम प्रणाली विकसित की गई है इससे मुआवजे की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर की जाती है। इस प्रक्रिया से किसान को मुआवजे की राशि का भुगतान जल्द हो जाता है। फसल बीमा योजना के तहत क्लेम के लिए किसानों को 72 घंटें के भीतर कृषि विभाग को फसल के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी देनी होती है इसके पश्चात कृषि विभाग के अधिकारी तथा बीमा कंपनी के प्रतिनिधि खेतों का निरीक्षण करते हैं और नुक्सान आकलन की रिपोर्ट तैयार की जाती है उसी के आधार पर मुआवजा किसानों के खाते में ट्रांसफर किया जाता है। फसल बीमा योजना के तहत किसानों को तमाम वित्तीय जोखिमों से बचाने के व्यापक प्रबंध किए गए हैं। फसल चक्र के इसमें पूर्व बुवाई, फसल की मध्य अवधि की प्रतिकूलता, उपज आधारित क्षति होने पर मुआवजे का प्रावधान किया गया है।


Post a Comment

0 Comments