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लाहौल-स्पीति में आज कल दिख रहे है भूरे भालू

                                           दिन के उजालो में भी आराम से खेतो में घूम रहे है भूरे भालू 

लाहौल,रिपोर्ट रंजीत लाहौली 

अब दुर्लभ आईबैक्स, लाल और भूरे भालू की गणना को लेकर वन विभाग लाहौल-स्पीति ने प्रदेश सरकार को एक प्रपोजल भेजा है। इसी साल मार्च और अप्रैल माह में इसकी अनमुति मिलने की उम्मीद है। इसकी गणना को लेकर शिमला प्रपोजल भेजा गया है।

हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति के साथ अन्य हिमालयी इलाकों में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव आईबैक्स, भूरे और लाल भालू की संख्या का पता लगेगा। सूबे में पहली बार इन तीन वन्य प्राणियों की गणना की जा रही है। इसे पहले हिमालसी क्षेत्रों में पाए जाने वाले बर्फानी तेंदुए की गणना हो चुकी है। वहीं वाइल्ड लाइफ प्रदेश में काला भालू की गणना कर रहा है। जिसके आंकड़े अगले कुछ महीनों में आ सकते हैं। अब दुर्लभ आईबैक्स, लाल और भूरे भालू की गणना को लेकर वन विभाग लाहौल-स्पीति ने प्रदेश सरकार को एक प्रपोजल भेजा है। इसी साल मार्च और अप्रैल माह में इसकी अनमुति मिलने की उम्मीद है। डीएफओ लाहौल दिनेश शर्मा ने कहा कि उपरोक्त तीनों प्रजातियों की गणना सूबे में पहली बार की जा रही है। इसकी गणना को लेकर शिमला प्रपोजल भेजा गया है।  

आईबैक्स, भूरा भालू और लाल भालू विलुप्त होने वाली प्रजातियां में शामिल है। आईबैक्स के साथ लाल व भूरा भालू जिला कुल्लू में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के अलावा जिला लाहौल-स्पीति, चंबा के ऊपरी इलाकों और किन्नौर जिला में पाई जाती है। लाहौल-स्पीति जिला में यह तीनों प्रजातियां सबसे अधिक हो सकती है। जिसका खुलासा गणना के बाद सामने आएगा। डीएफओ कुल्लू एंजल चौहान ने कहा कि तीनों प्रजातियां दुर्लभ श्रेणी में आती हैं। यह तीनों वन्य जीव शिकारियों के निशाने पर भी अधिक रहते हैं। 

जिस कारण लाल भालू, भूरा भालू तथा आईबैक्स विलुप्त होने वाले जानवरों में शामिल है। उन्होंने कहा कि इन जीवों को शिकार करने पर सात साल तक की सजा का प्रावधान है। डीएफओ लाहौल निदेश शर्मा ने कहा कि वन विभाग सूबे में काला भालू की गणना पहले से ही कर रहा है। इसकी गणना का जिम्मा वाइल्ड लाइफ को दिया गया है। प्रदेश में कितने काले भालू है इसकी गणना हर पांच-छह साल बाद की जाती है। 


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