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जोगिंद्रनगर अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं, रेफर किए जा रहे मरीज

                                                      प्रसव पर भी जोखिम लगातार बढ़ रहा है

जोगिंदर नगर,रिपोर्ट जतिन लटावा 

सिविल अस्पताल में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण कई मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है। कई वर्षों से 100 बिस्तरों वाले अस्पताल में रक्त का भंडारण न होने से गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन प्रसव पर भी जोखिम लगातार बढ़ रहा है। पत्थरी के ऑपरेशन इस अस्पताल में शुरू हो चुके हैं, लेकिन अचानक खून की जरूरत पड़ने पर मरीजों को टांडा और मंडी अस्पताल में रेफर करना विशेषज्ञ चिकित्सकों की मजबूरी बन रही है।

हैरानी इस बात है कि अस्पताल में दो गायनी, एक शल्य और एनीस्थीसिया विशेषज्ञ चिकित्सक को शल्य चिकित्सा की जिम्मेवारीसौंप कर नियुक्ति दे दी गई है, लेकिन ब्लड बैंक की व्यवस्था करना स्वास्थ्य विभाग भूल गया है। ऑपरेशन की बात करें तो हर्निया, पत्थरी के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों के आठ से दस ऑपरेशन अस्पताल में हो रहे हैं। इसी बीच सिजेरियन प्रसव के दौरान अगर किसी गर्भवती महिला को खून की जरूरत पड़ जाए तो आनन-फानन में या तो मरीज को टांडा या फिर मंडी अस्पताल में रेफर कर पड़ रहा है। 

वहीं, तीमारदारों को भी खून को व्यवस्था करवाने का आह्वान एन वक्त पर चिकित्सकों को करना पड़ रहा है। दोनों ही स्थिति मरीजों की जान पर जोखिम बढ़ जाता है। रोटरी क्लब के पूर्व अध्यक्ष अजय ठाकुर कारोबारी हरीश कुमार, शशि धरवाल, पार्षद शिखा,नगर परिषद पूर्व अध्यक्ष प्रतिमा वर्मा ने कहा कि अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा होना बेहद जरूरी है।शासन व प्रशासन इस ओर ध्यान दें। 

 उधर, नागरिक अस्पताल जोगिंद्रनगर में बकौल गायनी प्रसव करवाए जा रहे हैं।विशेषज्ञ चिकित्सक सेवाएं दे रहीं डॉ. तेंजिन ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन प्रसव के दौरान अगर खून की कमी हो जाए तो उसकी जान पर भी खतरा बढ़ जाता है। बताया कि कम सुविधाओं और संसाधनों के अभाव के बाद भी अस्पताल में हर माह 25 से 30 प्रसव करवाए जा रहे हैं।


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