पालमपुर,रिपोर्ट
आतमा कांगड़ा द्वारा जिला कांगड़ा में नव चयनित कृषि एवं पशु सखियों को सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का 2 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया जिसमे
पहले दिन 21 जुलाई को डा० शशी पाल अत्री , परियोजना निदेशक, आतमा जिला काँगड़ा ने सभी कृषि सखियों व पशु सखियों का स्वागत किया तथा उनको सुभाष पालेकर प्राक्रतिक खेती की मूल जानकारी एवं इस से होने वाले स्वास्थय लाभों के बारे में बताया ।
डा० दिनेश राणा, उप - परियोजना निदेशक, आतमा जिला काँगड़ा ने मोटे अनाजो की खेती के महत्व की जानकारी साजा की । इसके उपरांत डा० सोनिका व डा० प्रयंका ने प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले घटक जैसे बीजामृत, जीबामृत, घन जीबामृत एवं कीटनाशक जैसे द्रेकास्त्र, ब्रह्मास्त्र , अग्निअस्तर , दशपर्णी अर्क, सप्ताध्यांकुर अर्क ब फफुंफनाशक जैसे जंगल की कंडी एवं खटटी लस्सी बनाने की व्यवहारिक विधि , उपयोग एवं लाभ के बारे में विस्तार से बताया। देसी गाय पर मूल जानकारी तथा इसके रखने के तरीकों के बारे डाo अंशुल सूद ने दी।
दूसरे दिन 22 जुलाई को कृषि विश्वविद्यालय से आये कुलभूषण जी ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का इतिहास , लाभ व् प्राकृतिक खेती के चार स्तंभों (बीजामृत,जीवामृत, वापसा और अच्छाध्न) के बारे में विस्तार से बताया तथा बाजार में इसकी रूचि क्या है उसके बारे में संक्षेप में जानकारी दी i डा० सुशिल कुमार, उप - परियोजना निदेशक, आतमा जिला काँगड़ा ने विभाग में चल रही सभी योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी उपलब्द करवाई तथा योजना का लाभ कैसे उठाएं इसके बारे में संक्षेप में बताया ।
इस 2 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 9 विकास खंडो से लगभग 80 कृषि व पशु सखियों ने भाग लिया i अंत में सभी कृषि व पशु सखियों ने इस प्रशिक्षण के बारे में प्रसन्नता व्यक्त की तथा अपने विचार रखे और खुद प्राकृतिक खेती करने का होंसला बुलंद किया और गाँव - गाँव में जा कर इस खेती का महत्त्व बताने का साहस दिखाया ।
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