कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में क्षेत्रीय कृषि मेला-2023 का किया शुभारंभ
पालमपुर, रिपोर्ट
कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कि किसान मेले का अधिक से अधिक लाभ उठायें। किसान उन्नत खेती और अधिक उत्पादन के लिये तकनीकी ज्ञान से स्वयं को समृद्ध करें। यह जानकारी उन्होंने अपने संबोधन में दी। कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने आज सोमवार को चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित क्षेत्रीय कृषि मेला 2023 (पर्वतीय कृषिक महासंगम) के शुभारंभ समारोह पर मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत की।
मुख्य संसदीय सचिव, कृषि, पशु पालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज किशोरी लाल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर कृषि एवं पशुपालन व मुख्य संसदीय सचिव ने क्षेत्रीय कृषि मेला में किसानों द्वारा लगाई गई विभिन्न प्रदर्शनीयों का अवलोकन भी किया।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान अनपढ़ हो सकता है लेकिन मेहनत से नहीं घबराता है। किसानों ने मेहनत से इतना अनाज पैदा किया है कि न केवल अपने देश की मांग को पूरा किया बल्कि विदेशों में भी भेजा गया। सोमवार को चैधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में आयोजित तीन दिवसीय पर्वतीय कृषक महासंगम के उदघाटन समारोह में किसानों, वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यह उदगार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय देश के पर्वतीय क्षेत्रों की खेती-बाड़ी व पशु पालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कृषि विविधता पर बोलते हुए कहा कि फूलों की खेती, मछली पालन आदि को अपनाना चाहिये। शोध कार्यो को प्रयोगशाला से किसानों के खेतों में पहुंचाने में विश्वविद्यालय को कार्य करना चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों के संस्थान पूरे विश्व के लिए किसानों ने अच्छा प्रयास किया है। अनाज की जगह अन्य फसलों को भी किसान तैयार करें। विभिन्नता को देखते हुए हरित क्रांति के बाद दुग्ध क्रांति हुई अब जैविक खेती की तरफ भी जाना होगा। बच्चों को अत्याधुनिक कृषि पद्धतियों को पारंगत करना होगा।
क्षेत्रीय कृषि मेला 2023 के शुभारंभ समारोह में मुख्य संसदीय सचिव, कृषि, पशु पालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज किशोरी लाल विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि किसानों कुलपति प्रो. एच के चौधरी ने विस्तार से विश्वविद्यालयों की उपलब्धियों को किसानों के सामने रखते हुए कहा कि दस वर्ष बाद यह कृषि मेला आयोजित हुआ है। हिमाचल का किसान ईमानदार और संतुष्ट है। उन्होंने कहा कि किसान को अपनी ताकत पहचाननी है क्यांेकि उनमे अपार शक्ति है। किसानों की शक्ति को देखते हुए ही विश्वविद्यालय ने 56 प्रगतिशील किसानों को कृषिदूत बनाया है। जिनके अनुभव का पूरा लाभ अन्य किसानों और युवावर्ग को प्रदान करवाया जा रहा है।
कुलपति प्रो. एच के चौधरी ने फलों की नर्सरी से उत्पादों को न केवल राज्य बल्कि अन्य प्रदेशों को भी भेजे जाते हैं। एक वैज्ञानिक एक परियोजना योजना को शुरू किया है। देश के कृषि विश्वविद्यालयों में पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय को आठवां स्थान मिला है। दस हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश विदेश में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है। सौ करोड़ की विभिन्न परियोजना को चलाया जा रहा है। 1000 क्विंटल बीज विभिन्न फसलों के तैयार करता है।
प्रसार शिक्षा निदेशक डाक्टर नवीन कुमार ने क्षेत्रीय किसान मेले को लेकर विस्तार से जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि इसमें विभिन्न स्थानों से लगभग पांच सौ किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
इससे पहले मुख्य अतिथि द्वारा प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एच के चौधरी ने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश में फसलों के प्रमुख हानिकारक कीट तथा उनका प्रबंधन पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। मुख्य अतिथि द्वारा कृषि क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित भी किया गया।
इस मौके कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. डी. के. वत्स, पूर्व कुलपति डाक्टर के.के.कटोच, कुलसचिव डॉ. मधु चैधरी, अनुसंधान निदेशक डाक्टर एस.पी. दीक्षित, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष कुमारी मनभरी देवी, बैजनाथ ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष वीरेंद्र जंबाल, रविंद्र बिटटू, संविधिक अधिकारियों समेत कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, छात्र, प्रध्यापक, कृषक, शिक्षक, गैर शिक्षक और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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