घर में कमाने वाली अकेली महिला है सीमा देवी
मंडी,रिपोर्ट संगीता मंडयाल
कोरोना महामारी के दौर से नेरचौक मेडिकल कॉलेज में सेवाएं दे रही हूं। पति की मौत के बाद घर में कमाने वाली अकेली ही हूं, बच्चों के साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारी भी मेरे सर पर ही है।सीएम साहब कृपया करके मुझे नौकरी से मत निकालो। यह गुहार नेरचौक मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 के दौर से बतौर वार्ड अटेंडेंट अपनी सेवाएं देने वाली सीमा देवी ने लगाई है।सीमा देवी का कहना है कि कोरोना महामारी के दौर में जब सरकार को उनकी जरूरत थी, तो उन्होंने अपने छोटे-छोटे बच्चों को घर में छोड़कर दस-दस दिन तक लगातार अपनी सेवाएं दी। लेकिन आज उन्हें इसी नौकरी से निकाला जा रहा है, जबकि वह घर में कमाने वाली अकेली ही हैं।
इन लोगों का आरोप है कि सरकार नेरचौक मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्सिंग पर अन्य नियुक्तियां कर रही है, जबकि कोरोना महामारी के दौर से अपनी सेवाएं देने वाले को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। बुधवार को नोवा वैक्स कोविड-19 एसोसिएशन के बैनर तले नेरचौक मेडिकल कॉलेज में कार्यरत दो दर्जन के करीब कर्मचारी उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी से मिले और एक ज्ञापन सौंप कर सरकार व स्वास्थ्य मंत्री से उनके स्थाई नियुक्ति करने की मांग उठाई।
इन लोगों का आरोप है कि सरकार नेरचौक मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्सिंग पर अन्य नियुक्तियां कर रही है, जबकि कोरोना महामारी के दौर से अपनी सेवाएं देने वाले को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।एसोसिएशन की जिला अध्यक्ष हेम लता ने बताया कि कोविड के दौरान सरकार ने आउटसोर्स पर नेरचौक मेडिकल कॉलेज में 101 स्टाफ नर्स, 98 वार्ड अटेंडेंट, 75 सफाई कर्मचारी, 10 सिक्योरिटी गार्ड, 12 लैब टेक्नीशियन और 6 डाटा ऑपरेटर नियुक्त किए थे।कोविड - 19 के दौरान सभी कर्मचारियों ने अपने परिवार की परवाह किए बिना अपनी सेवाएं दी और आज भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
आज हम सभी कर्मचारियों को तीन या चार महीने के बाद एक महीने का वेतन ही मिल रहा है।उन्होंने प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि तीन-तीन महीने के विस्तार को बंद कर, उनकी स्थाई नियुक्ति की जाए। वहीं इन सभी कर्मचारियों को महीने की 7 तारीख को वेतन दिया जाए।
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